एनडीटीवी लिमिटेड से कई सूचनाएं आ रही हैं. ये सभी अपुष्ट हैं पर उच्च पदस्थ सूत्रों द्वारा दी गई हैं. एनडीटीवी ग्रुप के अंग्रेजी चैनल एनडीटीवी 24×7 से ग्रुप एडिटर इंग्लिश न्यूज बरखा दत्त का नाता टूट सकता है या बदल सकता है. यह फेरबदल प्रबंधन द्वारा लगभग तय कर लिया गया है लेकिन इसका इंप्लीमेंटेशन धीरे-धीरे या गुपचुप तरीके से किया जाएगा. संभवतः किसी अन्य को ग्रुप एडिटर की जिम्मेदारी दी जाएगी.
Tag: barkha dutt
खुशवंत सिंह ने बरखा दत्त की फिर जय जय की
बरखा दत्त के लिए जमाना चाहे जो बोले, प्रख्यात स्तंभकार खुशवंत सिंह पर इसका असर नहीं पड़ता. वे अपनी बानी बोलते हैं. उन्हें बरखा दत्त पसंद हैं तो हैं. बरखा की पत्रकारिता उन्हें अच्छी लगती है तो लगती है. दूसरी दफा खुशवंत सिंह ने अपने कालम में बरखा दत्त की जयगान की है. कल रविवार के दिनों कई अखबारों में छपे खुशवंत सिंह के कालम में बरखा दत्त का जयगान काफी लोगों ने पढ़ा. आप भी पढ़ लीजिए…
स्वामी अग्निवेश ने की बरखा दत्त की बोलती बंद
जनलोकपाल बिल को लेकर बुधवार को एनडीटीवी ने ‘बक स्टाप्स’ नामक एक लाइव शो प्रसारित किया. इस शो की एंकरिंग कर रही थीं तमाम तरह के आरोपों से घिरी बरखा दत्त. बरखा दत्त के सामने थे स्वामी अग्निवेश. बरखा ने स्वामी से सवाल किया कि शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर इतने तरह के आरोप लगे हैं तो क्या उन्हें अभी भी ड्राफ्टिंग कमेटी में बने रहना चाहिए. इसके जवाब में स्वामी ने बरखा की बोलती ही बंद कर दी.
बरखा गैंग अब आईआईएमसी के हाथों योगेश शीतल को निपटाने में जुटा
: आनंद प्रधान को एनडीटीवी की महिला पत्रकार ने निजी पत्र लिखा तो आनंद प्रधान ने शीतल को संस्थान की तरफ से सो-काज नोटिस थमा दिया : अन्ना हजारे के आंदोलन को सपोर्ट करने और भ्रष्टाचारियों को खेदड़ने का साहस रखने वाले इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) के छात्र योगेश कुमार शीतल की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं.
नीरा राडिया की दलाल बरखा दत्त वापस जाओ!
[caption id="attachment_20106" align="alignnone" width="505"]योगेश कुमार शीतल : शानदार काम[/caption]
: इंडिया गेट पहुंची बरखा को जनविरोध के कारण भागना पड़ा : नारेबाजी की शुरुआत करने वाले आईआईएमसी छात्र को डर है कि एनडीटीवी उस पर झूठा केस कर सकता है :
”एनडीटीवी वाले मुझे झूठे केस में फंसा सकते हैं”
[caption id="attachment_20105" align="alignleft" width="94"]योगेश[/caption]इंडिया गेट पर बरखा दत्त के लाइव प्रागाम में मेरे कुछ साथियों को शामिल होने के लिए बुलाया गया था। कार्यक्रम में बरखा को देख मैं अपने पर नियंत्रण कर पाने में असफल हो गया और आपस में ये निर्णय करके कि बरखा को इस मौके पर रिर्पोटिंग का नैतिक अधिकार नहीं है हमलोगों ने चप्पल चलानी चाही, लेकिन एक साथी के कहने पर ठहर गए।
ट्विटर पर एक महिला से उलझ गईं बरखा दत्त!
ट्विटर पर एक सज्जन (जो संभवतः कश्मीर के हैं) ने बरखा दत्त से पूछा कि क्या हमें मिस्र के तहरीर चौक जैसा कश्मीर में लाल चौक पर कुछ करना चाहिए…. इसके जवाब में बरखा ने शांतिपूर्ण ढंग से किए जाने की बात कही. तो इस बात को एक महिला ने उमर अब्दुल्ला तक पहुंचाया कि बरखा दत्त कश्मीर में मिश्र जैसा कुछ करने की वकालत कर रही हैं. तब किसी ने बरखा को ध्यान दिलाया कि देखिए, आपकी शिकायत उमर अब्दुल्ला से वो महिला कर रही है. बरखा भड़क गईं और उन्होंने उस महिला को क्या कहा, आप खुद पढ़ लीजिए….
2जी उर्फ राजा-राडिया घोटाला : एक चैनल के पास 206 करोड़ पहुंचे, जांच जारी…
टाइम्स आफ इंडिया में आज एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के जरिए काफी सनसनीखेज खुलासा किया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम के दौरान आए-गए पैसे की जांच-पड़ताल के दौरान पता चल रहा है कि करीब 206 करोड़ रुपये दक्षिण भारत के एक टीवी चैनल के पास पहुंचाया गया.
बस कहें, क्षमा करें
ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था कि पत्रकार आपके खिलाफ सार्वजनिक तौर पर जो कुछ लिखते हैं, उसके लिए निजी तौर पर माफी मांग लेते हैं। मगर राडिया टेप मामला सामने आने के बाद आप ठीक इसके उलट यह बात कह सकते हैं कि कुछ पत्रकारों पर यह दबाव डाला जा रहा है कि उन्होंने निजी तौर पर जो कुछ किया या कहा, उसके बारे में वे सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण दें। वाइल्ड उन पत्रकारों की बात कर रहे थे जो ताकतवर लोगों के खिलाफ लिखते तो थे, मगर उनके साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिशों में जुटे रहते थे। मगर आज कुछ ऐसे बड़े पत्रकार देखने को मिल रहे हैं जो ताकतवर लोगों की तरफ से लिख रहे हैं या उनके लिए काम कर रहे हैं।
राडिया, मीडिया और भड़ास
: नीरा प्रकरण और वेब की दुनिया : आज नीरा राडिया प्रकरण में पत्रकारों की भूमिका को ले कर बहस खुद उसी टेलीविजन पर हुई है, जिस टीवी चैनल में उन महत्वपूर्ण नामों में से एक बरखा दत्त खुद एक प्रमुख स्तम्भ के रूप में काम करती रही है. यह कहानी आज से करीब छह महीने पहले मई में शुरू हुए थी. मुझे याद है मई महीने की शुरुआत में यहीं भड़ास पर मैंने पहली बार इस महान महिला नीरा जी का नाम सुना, जिन्हें आज इस देश का बच्चा-बच्चा जानता है और आज जिनका नाम बड़े “सम्मान” के साथ लिया जा रहा है. उस समय किसी भी छोटे-बड़े समाचार-पत्र में कम से कम मैंने तो इस भद्र महिला का नाम नहीं देखा था.
राडिया रेडिएशन
पूरे पत्रकार जगत में आजकल नीरा राडिया का नाम रेडिएशन की तरह फ़ैल गया है. ख़ास करके दिल्ली के पत्रकार एक दूसरे से मजाक में ही सही, यह पूछना नहीं भूल रहे हैं कि डियर! तुमको भी राडिया ने फोन किया या नहीं? पूरा मामला एक उच्च स्तरीय महिला दलाल और सत्ता के गलियारों में उसकी घुसपैठ का है और कहने में गुरेज नहीं कि जिसे नीरा ने फोन किया और उनके टेप एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत सार्वजनिक हो गए, वे अब खिसियाकर अपना खम्भा भूल दूसरे का खम्भा नोच रहे हैं. इस पूरे एपिसोड में और भी दिलचस्प यह है कि बहुत से लोग प्रवचन बघार रहे हैं, और ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि वे अब तक नहीं फंसे.
मीडिया की नपुंसक संस्थाएं
जिस राडिया प्रकरण को लेकर देश दुनिया मे भारत की भद्द पिट रही है, उस प्रकरण को सरकार का भ्रष्टाचार माना जाये या मीडिया में अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार, क्योंकि इस राडिया प्रकरण ने भारतीय मीडिया और उसके बड़ी मूंछ वालों की कलई खोल दी है। लेकिन शुक्र है राडिया प्रकरण की, जिसने यह भी साबित कर दिया है कि जिस बड़े पत्रकारों का नाम जप कर नए व पुराने मीडियाकर्मी अघाते नहीं थे, वे पूंछ उठने के बाद मादा निकल गए।
राडिया की प्रेत साया से रतन टाटा और बरखा दत्त को बचाने का महाअभियान!
टेप कांड का कहर जारी है. डैमेज कंट्रोल में लगे हैं माननीय और माननीया लोग. रामनाथ गोयनका का धारधार एक्सप्रेस समूह धीरे धीरे धार खोता नजर आ रहा है. इंडियन एक्सप्रेस जिस तरह से रतन टाटा के बचाव में उतरा है, उससे शक होने लगा है कि इस समूह की मंशा कहीं 2जी स्कैम के लपेटे में आ रहे उद्यमियों को बचाने की तो नहीं है. शेखर गुप्ता ने रतन टाटा से विस्तृत बातचीत की. इस बातचीत को एनडीटीवी ने तो जमकर दिखाया. इस बातचीत में रतन टाटा ने टेपों के लीक होने को गलत बताया है, टेप सुने जाने को निजता का हनन कहा है, टेपों के आधार पर दूसरों को सवालों के घेरे में लेने को खराब कहा है.
और बरखा दत्त के बचाव का सिलसिला जारी
: एक आलेख के जरिए टेपों पर बरखा दत्त ने रखा अपना पक्ष : नीरा राडिया के साथ बातचीत कर वरिष्ठ व चर्चित पत्रकार बरखा दत्त भी विवादों में घिरी हैं. नीरा से बातचीत के टेपों के सार्वजनिक होने के बाद पहले एनडीटीवी समूह ने बरखा दत्त का बचाव किया लेकिन सवालों व संदेहों की संख्या जयादा होते देख और मामले के तूल पकड़ते देख अब खुद बरखा दत्त अपने बचाव में मैदान में उतर पड़ी हैं. उन्होंने एनडीटीवी डॉट कॉम पर पूरे प्रकरण, आरोपों व घटनाक्रम को लेकर अपना लंबा-चौड़ा पक्ष रखा है. पत्रकारिता का नियम यह है कि अगर आरोपी अपने बचाव में कुछ कहता है तो उसकी बात को उतनी ही गंभीरता से सुना जाना चाहिए जितनी गंभीरता से उस पर लगाए गए आरोपों को सुना जाता है. लीजिए, बरखा दत्त की बात को सुनिए और उनके कहे के मर्म को बूझिए.
वीर, बरखा, राजदीप, प्रभु अपनी संपत्ति बताएं
: लोकतंत्र के चौथे खंभे (पत्रकारिता) को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने के संदर्भ में आरटीआई एक्टिविस्ट अफरोज आलम साहिल का एक खुला पत्र : सेवा में, महोदय, मैं अफ़रोज़ आलम साहिल। पत्रकार होने के साथ-साथ एक आरटीआई एक्टिविस्ट भी हूं। मैं कुछ कहना-मांगना चाहता हूं। मेरी मांग है कि लोकतंत्र के चौथे खंभे यानी मीडिया को सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में लाया जाए। लोकतंत्र के पहले तीनों खंभे सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के दायरे में आते हैं। यह कानून कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों पर लागू होता है। इसका मक़सद साफ है कि लोकतंत्र को मज़बूत किया जा सके।
मैंने अपने को इस देश का नागरिक मानना छोड़ दिया है
यश जी प्रणाम, टेप सुने, बरखा वीर के उत्तर पढ़े. ज्यादा कुछ कहने को है नहीं. बहुत बड़ा पेट है इस भीड़तंत्र का, ये मसला भी पचा लिया जायेगा. वैसे भी भोपाल गैस कांड पे आये अदालत के निर्णय के बाद से ही मैंने अपने को इस देश का नागरिक मानना छोड़ दिया है. देशभक्ति अब अपील नहीं करती. जीवन चल रहा है, चलता रहेगा, मौत आएगी आ जायेगी. ग़म और भी हैं, खुशियाँ और भी हैं, जीवन के आयाम और भी हैं.
बरखा दत्त और वीर संघवी प्रकरण में सीबीआई क्यों नहीं दे रही सवालों के साफ-साफ जवाब?
राजा प्रकरण ने कई सफेदपोशों की पोल खोल दी है. मनमोहन भी लपेटे में हैं. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी व सीएजी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के बारे में सब कुछ जानकर चुप रहने वाला भी भ्रष्ट है. ईमानदार बनने की कोशिश में रतन टाटा बोल गए कि उनसे घूस मांगी गयी थी लेकिन किसने मांगी थी, ये बताने में वे भी मनमोहन हो गए. इतने बड़े लोग जब भ्रष्टाचार को होते देखकर, खुद इसे झेल-सहकर चुप हैं तो छोटे आदमियों की क्या बिसात.
वीर-बरखा जाएंगे तिहाड़?
बड़ा ही अजीब सवाल है। वीर यानी वीर सांघवी- ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के संपादकीय निदेशक, बेहद ऊंचा पद। बरखा यानी बरखा दत्त- ‘एनडीटीवी 24/7 की समूह संपादक, बेहद रसूखदार पद। सवाल यह उठता है कि इन दोनों का तिहाड़ जेल से क्या मतलब। मतलब है, मतलब ही नहीं बल्कि बहुत बड़ा मक़सद है! दरअसल, 2-जी स्पेक्रट्रम घोटाले के सूत्रधारों में इनकी शुमारी काफ़ी मायने रखती है। कथित रूप से दुनिया की सबसे बड़ी दलाल नीरा राडिया की ये दोनों दाएं-बाएं हाथ सरीखे हैं, जो राजनीति के गलियारे में नीरा राडिया की बेलाग इंट्री करवाते हैं।
बरखा, रंजिनी समेत कई को मिलेगा एवार्ड
सम्मान समारोहों और एवार्डों की घोषणाओं के बीच में एक खबर बरखा दत्त के बारे में है. पिछले कुछ समय से विवादों में घिरीं बरखा को पत्रकारिता क्षेत्र में योगदान के लिए ‘मीडिया स्टार ऑफ द डेकेड’ अवार्ड के लिए चुना गया है. एनडीटीवी से जुड़ीं एडिटर, रिपोर्टर और एंकर बरखा दत्त को इस पुरस्कार के तहत 50,001 रुपये नकद दिया जाएगा. साथ ही उन्हें प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाएगा. रंजिनी हरिदास को ‘पापुलर एंकर’ कैटगरी का एवार्ड दिया जाएगा. इस पुरस्कार के लिए चयनित रंजिनी को 10,001 रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा.