भाजपा मीडिया प्रभारी ने लखनवी पत्रकारों को भंडारे में खाना खिलवाया

आडवाणी की जनचेतना यात्रा में पत्रकारों को नोट बांटने और बिजली का अवैध कनेक्शन लेने का मामला जोरों पर मीडिया में उछल रहा है. इसी बीच राजनाथ और कलराज की जनस्वाभिमान यात्रा में हुए एक वाकए ने पत्रकारों में भाजपाइयों की मानसिकता को उजागर कर दिया है. राजनाथ की यात्रा कवर करने गए लखनऊ के पत्रकारों को मीडिया प्रभारी नरेंद्र सिंह राणा ने कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में चल रहे भंडारे में खाना खिलवाया.

मोदी का कार्टून बनाने वाले से चिढ़े भाजपाई, जेल भिजवाया

: मोदी पर कार्टून बनाना महंगा पड़ा युवा कार्टूनिस्ट को : इंदौर। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कार्टून बनाना एक लोकल कार्टूनिस्ट के लिए सचमुच महंगा साबित हुआ। उसके खिलाफ न सिर्फ सांप्रदायिक तनाव फैलाने का मामला दर्ज हुआ बल्कि उसे गिरफ्तार भी होना पड़ा। बुधवार को उसे जमानत पर छोड़ा गया, लेकिन उसके बाद भी उसे छिप कर रहना पड़ रहा है।

फेसबुक के जरिए हुई थी शेहला मसूद और तरुण विजय की दोस्ती!

शेहला मसूद और तरुण विजयपत्रकार और सांसद तरुण विजय बुरी तरह घिर गए हैं. भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड में जबसे उनका नाम आया है, तबसे उनके बारे में नित नई जानकारियां लीक की जा रही हैं या पता चल रही हैं. ताजी जानकारी ये है कि तरुण विजय और शेहला मसूद में दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी.

”अमूल बेबी” के बोल कब फूटेंगे

[caption id="attachment_20539" align="alignleft" width="94"]भूमिका रायभूमिका राय[/caption]: रामदेव से लेकर अन्ना और भाजपा तक को कुछ न कुछ मिला… हर बार की तरह इस बार भी ठगी गई सिर्फ जनता : एक बार फिर जनता ठगी-सी खड़ी है. अवाक है और परेशान भी। अवाक, क्योंकि जिन हाथों में उसकी सुरक्षा का दायित्व था, उन्हीं हाथों से उसे ज़ख्म मिले हैं और परेशान इसलिए, कि आखिर वो जाए तो जाए कहां?

रामदेव के सत्याग्रह पर पत्रकारों की तीन त्वरित टिप्पणियां

: अपरोक्ष सत्ता संघर्ष ही है बाबा रामदेव का आंदोलन : प्रकृति, मानवता, समाज, देश हित, ईमानदारी और सच्चाई की बातों का कौन समर्थन नहीं करना चाहेगा? सकारात्मक मानसिकता वालों की तो बात ही छोडिय़े, इन मुद्दों पर नकारात्मक सोच रखने वाले भी हां में हां करते नजर आते हैं, ऐसे में योग गुरू बाबा रामदेव की बातें किसी को भला क्यूं बुरी लगेंगी?

भ्रष्टों को सेवा विस्तार का सिफारिशी पत्र लिखवाने का रेट चालीस लाख!

भारतीय जनता पार्टी में कौन नेता है जो दागी नहीं है? आप अंदाजा लगाते रहिए. शायद ही कोई माई का लाल दूध का धुला मिले. और, ये हालात किसी एक नहीं बल्कि हर बड़ी राजनीतिक पार्टी का है. लेकिन भाजपा की चर्चा इसलिए जरूरी है क्योंकि वे लोग अपने चरित्र, चाल, चेहरा, चलन को लेकर बहुत दावे करते हैं और परंपरा व संस्कृति पर काफी हायतौबा मचाते हैं.

पराई स्त्री संग सोए भाजपा नेता की सीडी देख मुंह छिपा रहे भाजपाई

यह तकनालजी का जमाना है. यह हिप्पोक्रेसी के खात्मे का दौर है. तकनालजी और हिप्पोक्रेसी में कोई संबंध उन्हें नहीं समझ आएगा जो गुजरे जमाने के लोग हैं. पर नई पीढ़ी इसे अच्छी तरह समझती है. एक जूलियन असांजे आता है और अमेरिका समेत कई देशों के दोगले चेहरे का पर्दाफाश कर जाता है.

मजाक बन गई है भाजपा की तिरंगा यात्रा

: इतिहास को दोहराने की कोशिश का हश्र यही होता है : “देशभक्ति, दुष्टों-लफंगों की आखिरी शरणस्थली होती है” – सैमुएल जॉन्सन : सैमुएल जॉन्सन की यह पंक्ति भारतीय जनता पार्टी और उसके युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा की तिरंगा यात्रा पर बिल्कुल फिट बैठती है. ऐसे राजनीतिक तमाशे करने में भाजपा का कोई जवाब नहीं है. वैसे भी भाजपा के लिए ‘देशभक्ति’ हमेशा से आखिरी शरणस्थली रही है.