तो बिजेंद्र यादव गिरफ्तार हो ही गए. कल यह मालूम हुआ था कि इलाहाबाद पुलिस द्वारा बिजेंद्र यादव को कैन्ट थाने में पकड़ लाया गया था, जब वह अपने एक मामले की सुनवाई के लिये इलाहाबाद हाईकोर्ट गए थे. आज सुबह मालूम हुआ कि पुलिस ने आखिरकार सिविल लाइन थाने में उनके खिलाफ मुक़दमा लिख ही दिया और अब उन्हें गिरफ्तार कर उनको कोर्ट के सामने पेश किया गया. उन्हें धारा 353 आईपीसी तथा पुलिस फोर्सेस (इन्साईटमेंट टू ओफ्फेंस) एक्ट की धारा चार के तहत गिरफ्तार किया गया.
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बिजेंद्र यादव थाने में बैठाये गए
धन्य है हमारी उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था जो अपराधियों पर कार्रवाई करने की अपेक्षा निर्दोषों की ही धरपकड़ में ज्यादा विश्वास रखती है. ऐसे ही एक व्यक्ति को यूपी पुलिस इन दिनों प्रताड़ित कर रही है जो पुलिस के निचले तबके के लोगों के कल्याण के लिये संघर्षरत है. तभी तो आज इलाहाबाद पुलिस द्वारा बिजेंद्र यादव को कैन्ट थाने में पकड़ लाया गया, जब वह अपने मामले की सुनवाई के लिये इलाहाबाद हाईकोर्ट गए थे.
ब्रिजेन्द्र यादव बनाम पदम सिंह : यूपी पुलिस के दो चेहरे
मैं दो पुलिसवालों को देखती हूं और उनके बीच तुलना करने लगती हूं. एक हैं कांस्टेबल ब्रिजेन्द्र सिंह यादव जो अभी कुछ दिनों पहले सस्पेंड हुए थे और उससे पहले बर्खास्त. शायद जेल भी जा चुके हैं, कई मुकदमे हैं उन पर. मेरी जानकारी के मुताबिक साधारण आर्थिक हैसियत है उनकी. इसके विपरीत मैं देखती हूं पदम सिंह को. कांस्टेबल थे शायद पर आज डिप्टी एसपी हैं. चूंकि साठ साल पूरे हो गए हैं, इसीलिए सरकारी रूप से रिटायर हो गए हैं पर अभी भी नौकरी बढ़ा कर मुख्यमंत्री की सुरक्षा के इंचार्ज बनाए गए हैं.
पुलिस के गांधी का गाजीपुर में जोरदार स्वागत
: डबडबा गईं ब्रजेंद्र यादव की आंखें : जान का खतरा बता सुरक्षा की मांग की : सिपाही ब्रजेंद्र यादव बहाल हो गए हैं. उन्हें पुलिस वालों का संगठन बनाने के आरोप में और मीडिया के सामने अपनी बात रखने के आरोप में पुलिस अफसरों द्वारा सस्पेंड कर दिया गया था. इन्हीं ब्रजेंद्र की वर्षों की मेहनत के बाद प्रदेश में आईपीएस एसोशियेसन द्वारा किए जा रहे घोटाले का पर्दाफाश हो पाया.