: इसलिए लड़ाई जारी रहे : पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में पुलिस अफसरों के बड़े भारी संख्या में तबादले हुए. सत्तर के आस-पास. इनमे हर रैंक के अफसर थे- एसपी भी, डीआईजी भी, आईजी और एडीजी तक. इनमे कुछ तबादले खास तौर पर गौर करने लायक थे- एक पूरब में गाजीपुर का, एक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का और एक उत्तर प्रदेश के पुराने औद्योगिक नगर कानपुर का. इन तीनों को मैं एक अलग नज़र से इसीलिए देख रही हूँ क्योंकि इन तीनों ही जगह पर पिछले एक-डेढ़ महीने के अंदर पत्रकारों से जुड़े बड़े-बड़े कांड हुए थे.
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बहादुर बृजलाल के हाथ-पांव क्यों बंध गए?
: शाह बुखारी, पत्रकार और लखनऊ पुलिस : शाह अहमद बुखारी दिल्ली के जामा मस्जिद के इमाम हैं और इस रूप में अपने आप में बहुत प्रभावी व्यक्ति हैं. इस देश के शायद बाकी बहुत सारे ताकतवर लोगों की तरह शाह बुखारी को भी लगता है कि इस देश के नियम और कानून औरों के लिए हैं, साधारण लोगों के लिए हैं, गरीबों और कमजोरों के लिए हैं.
शर्मनाक मीडिया, बेशर्म बुखारी
शाही इमाम अहमद शाह बुखारी नाराज हैं. उन्होंने वहीद को काफिर कहा और पीट दिया. वश चलता तो उसके सर कलम करने का फतवा जारी कर देते. हो सकता है कि एक दो दिनों में कहीं से कोई उठे और उसके सर पर लाखों के इनाम की घोषणा कर दे. वो मुसलमान था, उसे ये पूछने की जुर्रत नहीं होनी चाहिए थी कि क्यूँ नहीं अयोध्या में विवादित स्थल को हिन्दुओं को सौंप देते. वैसे मै हिन्दू हूँ और मुझमे भी ये हिम्मत नहीं है कि किसी से पूछूं कि क्यूँ भाई, कोर्ट के आदेश को सर आँखों पर बिठाकर इस मामले को यहीं ख़त्म क्यूँ नहीं कर देते. क्यूंकि मैं जानता हूँ ऐसे सवालों के अपने खतरे हैं, बुखारियों के वंशजों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चप्पे चप्पे पर अपना कब्ज़ा जमा लिया है.
नकारे जाने से बौखलाए हैं बुखारी जैसे लोग
कोई नेता पत्रकार पर हाथ तभी उठाता है जब उसकी हैसियत समाज में खत्म हो जाती है. अहमद बुखारी जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उसे इस देश के मुसलमानों ने नकार दिया है. इसी के परिणामस्वरूप आज बुखारी मारपीट पर उतर आये. इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है. सभ्य समाज में इस तरह की हिंसा का कोई मतलब नहीं है. अहमद बुखारी मुसलमानों को किस तरह गुमराह करने की कोशिश करते रहे हैं, यह सबको पता चल चुका है. अब मुसलमान उन्हें घास नहीं डाल रहा . बौखलाए बुखारी अब खबरों में बने रहने के लिए इस तरह की बदतमीजियों पर उतर आये हैं. दरसल बुखारी की पीड़ा भी जायज है. अयोध्या के फैसले के बाद भी देश में अमन चैन का माहौल रहना बुखारी और तोगड़िया जैसों को दुःख पहुंचाता ही है. अगर इस तरह का प्यार का वातावरण रहेगा तो इन लोगों को कौन पूछेगा.
बुखारी ने सवाल पूछने वाले पत्रकार की दाढ़ी नोंची
मौलाना अहमद बुखारी अब अवाम की जुबान कुचलने पर आमादा हो गये हैं। लखनऊ में आज उन्होंने एक पत्रकार को भरी प्रेस कांफ्रेंस में जमकर पीटा। हाईकोर्ट के फैसले पर मौलानाओं से बात करने यहां आये दिल्ली की जामा मस्जिद के ईमाम अहमद बुखारी ने सवाल पूछने की हिमाकत करने पर भरी प्रेस कांफ्रेंस में दास्तान-ए-अवध के सम्पादक मोहम्मद वहीद चिश्ती की दाढी नोंची, टोपी उछाली और थप्पड़ों की बौछार कर दी।
अहमद बुखारी के लोगों ने लखनऊ में पत्रकार पर किया हमला
लखनऊ से एक सूचना आ रही है कि अहमद बुखारी की प्रेस कांफ्रेंस में आज एक पत्रकार पर हमला कर दिया गया. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दास्ताने अवध नाम के पत्रकार अब्दुल वहीद ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़ा कोई सवाल पूछा, कोई सजेशन दिया जो अहमद बुखारी के लोगों को नागवार गुजरा.