‘कार्टून वाच कार्टून उत्सव’ 29 अप्रैल से दिल्ली में

अपने प्रकाशन के पंद्रहवे वर्ष में प्रवेश कर चुकी देश की एक मात्र कार्टून पत्रिका कार्टून वाच द्वारा हर वर्ष आयोजित होने वाले कार्टून उत्सव में देश के वरिष्ठ कार्टूनिस्टों को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन पहली बार दिल्ली में किया जा रहा है। दिल्ली के हिंदी भवन में शुक्रवार, २९ अप्रैल २०११ को सायं  ६ बजे से प्रारंभ होने वाले इस आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम।

एक कार्टूनिस्ट की नजर में अन्ना का आंदोलन

जनसंदेश टाइम्स अखबार के सीनियर डिजायनर सुशील दोशी ने अन्ना हजार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पर एक कार्टून बनाकर भेजा है. उसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है. अन्ना हजारे के आंदोलन को मीडिया ने जोरदार तरीके से सपोर्ट किया है. अखबारों और चैनलों ने भरपूर कवरेज दिया है और दे रहे हैं. यह बहुत अच्छी स्थिति है. उम्मीद बंधने लगी है कि बाजार के लाख दबाव के बावजूद कुछ करने की गुंजाइश है. और यह भी कि आखिरकार जनता की भावनाओं को देर तक दबाया और इगनोर नहीं किया जा सकता. फिलहाल ये कार्टून देखें…

वर्ल्ड कप क्रिकेट के साइड इफेक्ट : दो कार्टूनिस्टों की नजर में

कार्टून हजार-लाख शब्द लिखे से ज्यादा प्रभावशाली होते हैं. तुरंत पूरी कहानी कह देते हैं और दर्शक-पाठक के अंदर तक संदेश लेकर घुस जाते हैं. आज वर्ल्ड कप को लेकर दो कार्टून ऐसे हैं जिससे बहुत कुछ पता चलता है. कार्टूनिस्ट पंकज ने तो अदभुत बनाया है. उनकी क्रिएटिविटी को सलाम. वर्ल्ड कप क्रिकेट के बुखार में किस तरह दो देश बैट-बल्ला में तब्दील हो गए हैं, और कैसे इन देशों की जनता भी सब कुछ भूलकर, सुध-बुध खोकर ट्राफी के पीछे पगला गई है, इसे पंकज ने बड़े अच्छे से अपने कार्टून के जरिए जाहिर किया है.

मौजूदा दौर का कार्टूनिस्ट महज ग्राफिक्स डिजायनर या इलस्ट्रेटर बन कर रह जाता है : सुधीर तैलंग

तैलंग: कम हो गई है कार्टून की धार : मशहूर कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग की नजर में कार्टूनों में आज विचारों की कमी होती जा रही है,जिससे इसमें अब वह बौद्धिक पैनापन नहीं दिखता जो पहले की तरह सटीक बिंदू पर सीधा प्रहार कर सके। तैलंग की राय में पत्रकारों और नेताओं के गठजोड़ से मीडिया की धार कुंद हो गई है, जिसका नतीजा यह हो रहा है कि मौजूदा दौर का कार्टूनिस्ट महज ग्राफिक्स डिजायनर या इलस्ट्रेटर बन कर रह जाता है।

गुस्ताखी माफ : नाराज न होना ज्ञानी निशंक और महान मायावती

जो बात लिख लिख कर पढ़ा पढ़ा कर दिखा दिखा कर आप पाठकों दर्शकों को नहीं समझा सिखा बता पाते, वो काम कार्टून और एनीमेशन सेकेंड्स में कर देते हैं. आज आपको कुछ कार्टून और एनीमेटेड वीडियो दिखा रहे हैं. एक कार्टून उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के राजकाज से संबंधित है तो दूसरा यूपी में चरमराई पुलिस व्यवस्था पर. एनीमेटेड वीडियो एनडटीवी के गुस्ताखी माफ प्रोग्राम के हैं. यूपी की मुख्यमंत्री बहन मायावती पर केंद्रित हैं. एनडीटीवी की पापुलेरिटी में गुस्ताखी माफ कार्यक्रम का खास योगदान है. एनीमेटेड कैरेक्टर्स के जरिए गुस्ताखी माफ में सच्चा और तीखा वार किया जाता है ताकि मुस्कराएं भी, और सोचें भी. उम्मीद है आनंद आएगा. जय हो. -यशवंत