अन्ना हजारे, रामदेव और कांग्रेस – (एक)

दिनेश चौधरी: जब धर्म धंधे से जुड़ता है तो उसे योग कहते हैं- हरिशंकर परसाई : इस समय देश की राजनीति में कुकरहाव जैसा मचा हुआ है। पता नहीं आपके किस बयान को किस रूप में ले लिया जाये और हमले करने के लिये आप पर किसी प्रवक्ता को छोड़ दिया जाये। इन प्रवक्ताओं ने और कुछ किया हो या न किया हो, कुछ बातों को अच्छी तरह से स्थापित कर दिया है।

रामदेव के सत्याग्रह पर पत्रकारों की तीन त्वरित टिप्पणियां

: अपरोक्ष सत्ता संघर्ष ही है बाबा रामदेव का आंदोलन : प्रकृति, मानवता, समाज, देश हित, ईमानदारी और सच्चाई की बातों का कौन समर्थन नहीं करना चाहेगा? सकारात्मक मानसिकता वालों की तो बात ही छोडिय़े, इन मुद्दों पर नकारात्मक सोच रखने वाले भी हां में हां करते नजर आते हैं, ऐसे में योग गुरू बाबा रामदेव की बातें किसी को भला क्यूं बुरी लगेंगी?

अन्ना ने खाया धोखा पर होगी बाबा की जीत

आलोक कुमार: स्वामी रामदेव के आगे केंद्र सरकार के सारे दांव विफल होते नजर आ रहे हैं : रामदेव के आंदोलन में है लोहिया की खुशबू : योग गुरू रामदेव हठयोग की वैभवकारी मुद्रा में हैं। बाबा की मुद्रा से सियासी कुर्सी की चूलें हिली हुई है। सत्याग्रह का दायरा अन्ना हजारे की तुलना में व्यापक है।

राजीव गांधी की याद में दिल्ली के 12 अंग्रेजी अखबारों में 41 पेजों पर कुल 69 विज्ञापन!

: तेल लगाने का रिकार्ड बनाने वाले कांग्रेसियों शर्म करो : देश में अगर तेल लगाने और चापलूसी करने वाले नेताओं की प्रतियोगिता हो तो नंबर एक से लेकर दसवें स्थान पर आएंगे कांग्रेसी नेता. त्याग, तपस्या और मितव्ययिता का दिखावा करने वाली सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी की नजरों में नंबर पाने-बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के कांग्रेसी मंत्रियों ने राजीव गांधी की 20वीं पुण्यतिथि पर अखबारों को विज्ञापनों से पाट दिया है.