हम उस दौर में प्रवेश करते जा रहे हैं जहां समाज में सही-गलत की दिशा तय करने वाले पारंपरिक तंत्र की प्रतिष्ठा बचाए नहीं बच रही। सदैव आपके साथ होने का दंभ भरने वाली दिल्ली पुलिस हो। या सच्चाई सामने लाने के लिए बनी सीबीआई, या फिर भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली सीवीसी हो या न्याय के मंदिर का प्रतीक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट या निचली अदालत।
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कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसों की सदस्यता खत्म करने के लिए पहल करें
झारखंड आरटीआइ फोरम के अध्यक्ष बलराम ने एक पत्र देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिख भेजा है. इस पत्र में उन्होंने नागरिकों चुनाव लड़कर आने की चुनौती देने वाले दो सांसदों कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसों की सदस्यता खत्म करने के लिए पहल करने व प्रावधान बनाने का अनुरोध किया गया है. बलराम ने इसके पक्ष में कुछ तर्क दिए हैं. उनका तर्क कितना सही या गलत है, यह उनके पत्र से आपको पता चल जाएगा, जिसे हम नीचे हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं. -एडिटर, भड़ास4मीडिया
एक मित्र ने कटाक्ष किया- अब आप पत्रकार ही बाकी हैं
एक दिन के ही अखबार (8 जुलाई 2011) में दो खबरें आयीं. (1) 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में दयानिधि मारन केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटे या हटाये गये. संभावना है कि वह भी तिहाड़ जेल जायें. पूर्व मंत्री (राजनेता), नौकरशाह (बड़े) और कॉरपोरेट वर्ल्ड के बड़े लोग तिहाड़ में पहले से ही हैं. इसी मामले में. एक मित्र ने कटाक्ष किया…. अब आप पत्रकार ही बाकी हैं.
गैंग रेप, प्रेस, पुलिस, नेता और लोकतंत्र
फांस दिए तीन पत्रकार : सोनभद्र की तीन आदिवासी नाबालिग लड़कियों से सामूहिक बलात्कार की कवरेज करने वाले पत्रकार को मिली नौकरी से निलंबन और कोर्ट के चक्कर लगाते रहने की सजा। साथ में दो और पत्रकारों को पुलिस ने फांस दिया है। इतने संगीन मामले की लीपापोती में पुलिस, प्रेस और सत्ताधारी दल के नेता एक हो गए। महिला आयोग की भी भूमिका संदिग्ध रही। इस पूरे घिनौने खेल में उत्तर प्रदेश के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त एक सीनियर आईपीएस की करतूत सबसे शर्मनाक रही। पुलिस के दबाव में पीड़ित लड़कियों के अनपढ़ और सीधे-सादे पिता को ही पीड़ित पत्रकारों के खिलाफ गवाह बना दिया गया। इस तरह पूरा वाकया ही उलट गया।