विनोद शुक्ला और घनश्याम पंकज जैसों के पापों को पत्रकारों की कई पीढियां भुगतेंगी

दयानंद पांडेय: ऐसे लोग सूर्य प्रताप जैसे जुझारू पत्रकारों को दलाली में पारंगत करते रहेंगे : और अब तो प्रणव राय जैसे लोग भी बरखा दत्त पैदा करने ही लगे हैं : पहले संपादक नामक संस्था के समाप्त होने का रोना रोते थे, आइए अब पत्रकारिता के ही खत्म हो जाने पर विधवा विलाप करें : आंखें भर आई हैं सूर्य प्रताप उर्फ जय प्रकाश शाही जी की तकलीफों को याद कर, उनको नमन :

अलविदा पंकज सर….

: परफेक्ट थी जिंदगी की स्टाइल शीट और शानदार था जीने का लेआउट : पंकज सर नहीं रहे. 26 जनवरी की सुबह 4.3० बजे रेखा मैम का एसएमएस मिला तो लगा कि जैसे सब कुछ बिखर गया। वो पिछले कुछ सालों से बीमार थे लेकिन जिजीविषा इतनी तगड़ी कि अंतिम सांस तक नए प्रोजेक्ट्स, नई लांचिंग के बारे में ही सोचते और बात करते। सत्तर की उम्र में भी बीस का जोश। मैने उनके साथ कुबेर टाइम्स और जनसत्ता एक्सप्रेस में दो पारियां खेली हैं।

वरिष्‍ठ पत्रकार घनश्‍याम पंकज का कोच्चि में निधन

वरिष्‍ठ पत्रकार एवं वॉयस ऑफ लखनऊ के सलाहकार घनश्‍याम पंकज का आज को‍च्चि में निधन हो गया. वे लगभग 70 साल के थे तथा किडनी की बीमारी से पीडि़त थे. कई अखबारों में प्रधान संपादक भी रह चुके थे. उनके निधन से लखनऊ मीडिया जगत में शोक की लहर व्‍याप्‍त है.