[caption id="attachment_17033" align="alignleft" width="187"]स्वामी जी ने बैठे-बैठे प्राण त्याग दिए[/caption]एक आदमी एक जीवन में इतना कुछ कर सकता है, परमहंस की उपलब्धियां देख यकीन नहीं होता : राजपरिवार में पैदा हुए, फिर सब छोड़ दिया, फकीर बन गए : एक मित्र छुट्टी मना कर लौटे हैं. इजिप्ट, जॉर्डन वगैरह से. पिरामिड, ममी, डेड सी जैसी चीजें देख कर. प्रकृति के विविध रहस्यों-रूपों से स्तब्ध. कई हजार वर्षो पुराने रहस्य-तकनीक देख कर विस्मित. पर जब से रिखिया (देवघर) से मैं लौटा, जीवन रहस्य देख कर निरूत्तर हूं. बनारस के विश्वविद्यालय प्रकाशन व अनुराग प्रकाशन से छपी कुछ पुस्तकें पहले पढ़ी थीं. विश्वनाथ मुखर्जी की भारत के महान योगी (8-10 खंडों में), डॉ भगवती प्रसाद सिंह की गोपीनाथ कविराज जी पर मनीषी की लोकयात्रा ओद. भारत के महान संतों-साधुओं-सन्यासियों- वैरागियों का जीवन वृत्त. पर कई अविश्वसनीय प्रसंगों को पढ़ कर लगा कि क्या ऐसा सचमुच संभव है? द्वंद्व का भाव. अविश्वास का बोध.