: सुनना कलाम को, समझना बिहार को : हम सिर्फ याचक न रहें, कर्ता भी रहें : तीन मई को पुन: डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को सुना. तीसरी बार. दो बार राष्ट्रपति रहते हुए. इस बार पूर्व राष्ट्रपति के रूप में. अवसर था बिहार विधान परिषद द्वारा आयोजित शताब्दी व्याख्यान. पटना के रवींद्र भवन में. डॉ कलाम की यह छठी बिहार यात्रा थी. इस कार्यक्रम में हम शरीक हुए, सौजन्य ताराकांत झा जी, बिहार विधान परिषद के सभापति (चेयरमैन).
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कलाम के साथ अमरीकी कमीनापन
[caption id="attachment_15330" align="alignleft"]निरंजन परिहार[/caption]एपीजे अब्दुल कलाम होने को भले ही आज भूतपूर्व राष्ट्रपति हैं लेकिन भारतीय परंपरा और कानून, भारत की जमीन पर तो क्या दुनिया के किसी भी देश में उनसे साधारण मनुष्य की तरह व्यवहार करने की इजाजत नहीं देता। वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वीवीआईपी प्रोटोकॉल के हकदार हैं। लेकिन जिस देश के वे महामहिम रहे, उस अपने ही देश की राजधानी दिल्ली में अमेरिका की कांटिनेंटल एयरलाइन ने उनका जी भर कर अपमान किया। भारत ने इस मामले में जब कांटिनेंटल एयरलाइन से माफी मांगने की बात कही, तो पहले तो साफ इंकार कर दिया। लेकिन संसद में खूब हंगामा हुआ तो मामले को बढ़ता देख, दो दिन बाद माफी मांग ली।