शराबी के प्रवचन पर अपुन का प्रवचन

: मृत्यु है क्या, जीवन का अंत, या प्रारंभ, या कि स्वयं शाश्वत जीवन? : हमारे रोने में एक आह थी, एक प्रार्थना थी, जो सभी ईश्वरों से थी : यश जी प्रणाम, आपका आलेख पढ़ा. पढ़ के आनंद हुआ. मैं ये कहूँगा कि दुःख स्थायी भाव नहीं है. सुख भी नहीं. कोई भाव स्थायी हो ही नहीं सकता. सिर्फ वे भाव जो हमारी कल्पना में हैं, वे ही हमारी प्रतीति में स्थायी हो सकते हैं.

आमिर ने सचिन की चौदह साल की बेटी को एडल्ट फिल्म क्यों दिखाई?

यशवंत जी, गत माह  छह तारीख को मैं यू ही नेट पे समय खोटा कर रहा था. मैंने एक खबर पढ़ी कि सिने अभिनेता आमिर खान ने क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के परिवार के लिए अपनी बहुचर्चित मूवी ‘डेल्ही बेली’ की ख़ास स्क्रीनिंग रखी थी. खबर दो वेब-पेजों पे थी. लिंक नीचे मेल मैं है, आप चाहें तो देखें. पेज अभी भी हैं. चूंकि सचिन इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज हारने में व्यस्त थे, अतः उनकी पत्नी और पुत्री ने उस ख़ास स्क्रीनिंग में शिरकत की.

ये जो डिप्रेशन है…

: तीन टिप्पणियां : यशवंत भाई सबसे पहले तो फ़्लैट बुक करने के लिये बधाई. वह अत्यंत आवश्यक था. दिल्ली जैसे शहर में आपके जैसे तेवर वाले को पता नहीं कब मकान मालिक कह दे कि निकलो मेरे घर से. इसलिये यह अच्छा कदम है. दूसरी बात कि जब परिवार है तो कुछ जिम्मेवारी तो निभानी पड़ेगी, अन्यथा शादी-ब्याह ही नहीं करते. अब रह गई बात डिप्रेशन की तो मुझे लगता है इस शब्द को ही अभी तक लोग नहीं समझ पाये हैं.

अरविंद केजरीवाल की करनी पर प्रभाषजी ने सवाल खड़ा किया था

यशवंतजी, आज मैं घर से निकला तो ठान रखा था कि आज तो उसे जरूर देखूंगा. पर वो कहीं नहीं दिखा. मैंने आवाज भी दी. पूछा भी के भाई क्या तुम वाकई में परास्त हो गए. मर गए क्या. सडकों पर लोगों की आवाजाही बदस्तूर जारी थी. पुलिसवालों की वर्दी पहले जैसे ही चमक रही थी. उनके चेहरे पे वही तेज़ था. कचहरी में पहले जैसी ही भागमभाग थी. कलक्ट्रेट तहसील में भी वही आलम था. गोया के कुछ हुआ ही ना हो. अजीब शहर है ये हमारा. वहां दिल्ली में सारा देश बदल गया और यहाँ…

आलोक तोमर से कुछ दिनों पहले तीन घंटे वाली मेरी पहली मुलाकात

यश जी प्रणाम, भड़ास4मीडिया पर आलोक जी के स्वास्थ्य से सम्बन्धित खबर पढ़ी. कुछ कहते नहीं बन रहा है. अभी चंद रोज़ पहले ही जब मैं बरेली से दिल्ली पहुंचा तो आपके साथ उनके घर गया था, उनसे मिलने की लंबे समय से दबी पड़ी इच्छा को पूरी करने. वे तब भी बीमार ही थे, पर स्वस्थ होने को आतुर लग रहे थे.

यश जी, वो ‘बकचोदी’ वाली बहस मैंने पढ़ी

यश जी, वो ‘बकचोदी’ वाली बहस मैंने पढ़ी. एक आडियो फाइल भेज रहा हूं. ज़रा सुनिए. TIMESNOW पे एक बहस हुई थी, जैतापुर, महाराष्ट्र , में बनने वाले आणविक रिएक्टर पे. नेट लिंक है  http://www.timesnow.tv/Debate-Row-over-Nuke-project-1/videoshow/4361419.cms इसमें भारत के, DRDO के पूर्व निदेशक K. Santhanam बात करते-करते उत्तेजित हो जाते हैं, और कहते है…. ”..our coal is low grade, our hydroelectricity potential has been nearly exhauted, than what do we do SCRATCH OUR BALLS..”

मैंने अपने को इस देश का नागरिक मानना छोड़ दिया है

यश जी प्रणाम, टेप सुने, बरखा वीर के उत्तर पढ़े. ज्यादा कुछ कहने को है नहीं. बहुत बड़ा पेट है इस भीड़तंत्र का, ये मसला भी पचा लिया जायेगा. वैसे भी भोपाल गैस कांड पे आये अदालत के निर्णय के बाद से ही मैंने अपने को इस देश का नागरिक मानना छोड़ दिया है. देशभक्ति अब अपील नहीं करती. जीवन चल रहा है, चलता रहेगा, मौत आएगी आ जायेगी. ग़म और भी हैं, खुशियाँ और भी हैं, जीवन के आयाम और भी हैं.

Lay-offs but WHY?

Yashwant Ji namaskaar, hope things are fine with you and Bhadas4Media. There has been a lot of reporting about lay-offs in media, print & electronic. But i feel that, not much has been written about the possible reasons for these lay-offs. Some reasons are obvious but important ones are too obscure. Media watchdogs like Bhadas4media should dig deep for the obscure.