आप सत्‍तालोभी, गुलाम और डमी प्रधानमंत्री हैं

आदरणीय मनमोहन सिंह जी, सादर प्रमाण। आपकी हताशा और निराशा से भरा हुआ बयान पढ़ा। पढकर बड़ी वेदना हुई तथा अपनी अतीत की स्मृतियों में खो गया। 14 वीं लोकसभा में हम 11 सदस्यों को छद्म नाम से बनाई गई कम्पनी द्वारा प्रश्न के बदले पैसे की एक सनसनीखेज समाचार के आधार पर, जिसमें स्ट्रिंग आपरेशन करने वाली कम्पनी ने 5 लाख 25 हजार की पूंजी लगाकर कैसेट को आजतक को 48 लाख में बेचकर अधिक धन कमाया तथा संसद में आपकी सरकार ने हम 11 सदस्यों की भ्रूण हत्या कर दी, उस दिन आपने कहा था इस घटना से मेरा सिर शर्म से झुक गया है और नैतिकता के आधार पर सदन की गठित समिति ने संसद के इतिहास में पहली बार 7 दिवस के अन्दर रिपोर्ट देकर सदस्यता समाप्त कर दी।

भड़ासी चुटकुला (20)

अपने मनमोहन सिंह ने जिस ऐतिहासिक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया, अपनी मजबूरी का रोना रोने के लिए, वह प्रेस कांफ्रेंस ही मनमोहन के गले की फांस बनने लगी है. उस पीसी के जरिए मनमोहन ने खुद को सबसे मजबूर आदमी के रूप में पेश कर दिया है. मनमोहन की उसी पेशकश पर कुछ चुटकुले तैयार होकर आजकल यहां वहां विचरण कर रहे हैं. अपने बेचारे पीएम मनमोहन को लेकर बने दो नए चुटकुले या कमेंट्स, जो कह लीजिए आपके सामने पेश हैं. इसे पढ़कर आप जरूर कहेंगे कि ये आज के दिन के दो सबसे मजेदार वाक्य हैं. जो लोग इसे पहले पढ़ चुके हैं, उनसे अनुरोध है कि वे भी इस चुटकुले को जहां-तहां फारवर्ड करें… ताकि बेचारे पीएम की मजबूरी वाली बात और उनका मजबूर दर्शन हर जगह पहुंच सके. जय हो. -यशवंत

मनमोहन सबसे कलंकित प्रधानमंत्रियों में से एक!

आलोक तोमर: झूठे, बेईमान, नादान मनमोहन! : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शायद इस देश के इतिहास के अब तक के सबसे कलंकित प्रधानमंत्रियों में से एक साबित होने वाले हैं। वैसे तो वे अपने आपको महात्मा गांधी साबित करने में जुटे हुए हैं लेकिन जो भी घपला होता है उसके बारे में आधिकारिक और अदालती तौर पर पता चलता हैं कि जो हुआ वह मनमोहन सिंह की पूरी जानकारी में हुआ।

सोनिया, सिब्बल और मुखौटा मनमोहन

राजीव सिंह राजनीति में मुखौटा और मुखौटों के पीछे छिपे घिनौनी राजनीति का खेल खेलने वाले लोगों की चालें, जनता को हर तरीके से ठगने और उल्लू बनाने की कोशिशों में जुटी रहती हैं. ताज़ा उदहारण के रूप में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में मनमोहन सिंह की चुप्पी, नए टेलीकाम मंत्री कपिल सिब्बल का निर्लज्ज बयान और सोनिया गांधी के आदर्शवादी पाखंडी बातों को लें.सोनिया गांधी ने एक तरफ कहा कि भारत आर्थिक विकास तो कर रहा है लेकिन नैतिक रूप से मर रहा है. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि हमारे समाज के लोग लालची और बेईमान होते जा रहे हैं और एक खराब समाज का निर्माण कर रहे हैं.