जिंदगी में आज तक मैं कभी भी आलोक तोमर जी से नहीं मिला और न ही अंतिम क्षणों में अपने आखों को उनकी एक झलक ही दिखला पाया. हाँ उनके बारे में सुना बहुत कुछ था. कुछ दिन पहले एक मित्र ने तोमर जी के जिन्दादिली का एहसास कराया था. कुछ चीजें भड़ास के माध्यम से पहले भी पढ़ने का मौका मिला था.