: आजकल के हिंदी अखबारों में तीन बातें प्राथमिकता से बाहर हो गयी हैं… मेहनत व काबलियत की सही पूछ और आकलन, उपयोगिता के अनुसार प्रतिभा का सही सदुपयोग और काम के मुताबिक़ बिना किसी भेदभाव के उपयुक्त भुगतान. इन तीन चीज़ों का अभाव ही हिंदी पत्रकारिता का मटियामेट कर रहा है :
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प्रदीप संगम अचानक ऐसे चले जाएंगे, यकीन नहीं हो रहा
[caption id="attachment_20529" align="alignleft" width="168"]स्व. प्रदीप संगम[/caption]अपनी एक आनलाइन प्रोफाइल में पत्रकार प्रदीप संगम ने खुद के बारे में लिखा है- ”working for human rights, world peace, media rights, public intrest issues. member National union of journalists India, age- 50 yrs. active in journalism since 30 yrs. Occupation- Assitant Editor, Hindustan Media VL.”