यशवंत जी, आप चाहें जो लिखें-कहें, लेकिन सच यही है कि अगर कोई बात लिखित रूप से तय हुई है, इंबारगो के बारे में सब कुछ सबकी सहमति से तैयार हो गया तो फिर इसे तोड़ना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि किसी पर भी भरोसा न करने जैसा ट्रेंड पनपाने वाला है. पहले से ही तमाम तरह के आरोपों से घिरी मीडिया को एक बार फिर मीडिया वालों ने ही अनैतिकता के गड्ढे में धक्का दे दिया है. सारा खेल राजदीप चौरसिया, राहुल कंवल और पुण्य प्रसून ने बिगाड़ा.