[caption id="attachment_16918" align="alignleft"]बसंत गुप्ता[/caption]देर रात तक काम करने के बाद घर लौटते और सुबह-सुबह अखबारों की समीक्षा लेकर आफिस पहुंच जाते : कुछ दिनों पहले जब हार्ट अटैक हुआ तो उसे गंभीरता से न लिया, दूसरे हार्ट अटैक ने जीने का मौका ही नहीं दिया : मौसम बसंत का है. बसंत गुप्ता की उम्र, प्रतिभा और निष्ठा भी बसंत के यौवन की तरह थी. कुछ साल और वे हमारे साथ होते तो उनकी लेखनी, दृष्टि, तरक्की और प्रतिभा से छत्तीसगढ़ के पत्रकार लाभ लेते. नवभारत, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के सम्पादकीय प्रभारी बसंत गुप्ता महज 54 साल की उम्र में हमसे बिछुड़ गए. उनकी अंत्येष्टि में आज कस्तूरबा नगर श्मशान घाट पहुंचे सैकड़ों लोग मानों उनकी काबिलियत के कायल होने के गवाह थे. बसंत आख़िरी दम तक अख़बार के लिए, अपने काम के लिए समर्पित रहे. रात 2-3 बजे तक दफ़्तर में बैठना, फिर सारे अख़बारों की समीक्षा लेकर सुबह की मीटिंग में भी पहुंच जाना. काम खत्म हो जाने के बाद भी सहयोगी और खासकर नये पत्रकारों से गप-शप में घिरे रहना, उन्हें सीख देना उनका शगल था. बसंत पिछले एक पखवाड़े से बीमार चल रहे थे.