देश इस समय एक भयावह संकट से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार और काला धन एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरा है। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन देश के सभी वर्गों को आकर्षित कर रहा है। उदारीकरण के मुट्ठी भर समर्थकों को छोड़ कर समाज का कोई भी वर्ग भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं है। किसान, मजदूर, मध्य वर्ग, छात्र, महिलाएं, लेखक, बुद्धिजीवी सभी उद्विग्न हैं। राजनीतिक दल न केवल अप्रासंगिक, बल्कि समाज के लिए अहितकर, हो चुके हैं।
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असल में, हमारा समाज और सरकारी व्यवस्था लोकतांत्रिक नहीं है
: यह नागरिक जमात क्या होती है : जब भारत सरकार ने जन लोकपाल विधेयक पर अण्णा हजारे और उनके समूह के साथ दोस्ती कर ली, तभी मुझे शक हो गया था कि सरकार ने बहुत मजबूरी में यह समझौता किया है और उसके भावी इरादे ठीक नहीं हैं। जन लोकपाल विधेयक वाकई एक रेडिकल विधेयक है और वह संसद द्वारा पारित हो गया, तो भ्रष्टाचार के एक बड़े और अहम क्षेत्र को प्रदूषण-मुक्त किया जा सकता है।
अन्ना के साथ धोखाधड़ी, बाबा पर लाठी पड़ी
: देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली लोकपाल की जरूरत : रामलीला मैदान की घटना की तुलना जलियावाला बाग गोलीकांड से करना अनुचित नहीं है। दोनों घटनाओं में बहुत साम्य है। कुछ महत्वपूर्ण फर्क भी हैं। जलियावाला बाग में लोग सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू को रिहा करने की मांग के समर्थन में सभा करने आए थे। इन दोनों गांधीवादी नेताओं को गिरफ्तार कर पंजाब पुलिस ने किसी अनजान जगह पर छिपा रखा था।
अगर यही पत्रकारिता है
कोई प्रोफेशनल व्यक्ति संपादक न बने, उसका स्थान पत्र स्वामी ले ले, इस पर सैद्धांतिक रूप से मुझे कोई आपत्ति नहीं है। बशर्ते वह सचमुच पत्रकारिता ही करे। यूरोप में जब पत्रकारिता का उदभव हुआ, तब यही होता था। मुनाफा कमाने या समाज में हैसियत बनाने के लिए अखबार नहीं निकाले जाते थे।
सबसे अच्छा
सबसे अच्छा आदमी : मैं। सबसे अच्छा दोस्त : जो उधार देने में आनाकानी न करे। सबसे अच्छा पड़ोसी : जो पड़ोसी के लिए मारपीट तक करने पर उतारू हो जाए। सबसे अच्छा मकान मालिक : जो विदेश में रहता हो। सबसे अच्छा मकान : जहां तक पहुंचने में हर किसी की भी नानी मर जाए। सबसे अच्छी कार : जो ससुराल या दफ्तर से मिली हो।
यह रास्ता माओवाद की तरफ ले जाता है
[caption id="attachment_20413" align="alignleft" width="94"]राजकिशोर[/caption]पश्चिम बंगाल के वामपंथियों को अपने लिए एक नई जनता खोज लेनी चाहिए। राज्य की वर्तमान जनता अब उनके काम की नहीं रही। यह वही जनता है, जिसका राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व राज्य का वामपंथ चौंतीस सालों से करता आ रहा था। यह वही जनता है जो वामपंथी उम्मीदवारों को वोट भी देता रहा है।
नवलेश ने जेल में भूख हड़ताल शुरू की
पूर्णिया के भाजपा विधायक राजकिशोर केशरी हत्याकांड में गिरफ्तार पत्रकार नवलेश पाठक ने जेल प्रशासन पर प्रताड़ना और घटिया खाना देने का आरोप लगाते हुए सेंट्रल जेल में भूख हडताल शुरू कर दी है. नवलेश ने इस मुद्दे पर पूर्णिया जेल अधीक्षक के माध्यम से जेल महानिरीक्षक को पत्र लिखा था. इसकी शिकायत उन्होंने 31 जनवरी को सीजेएम के समक्ष पेशी की दौरान भी की थी.
विजय ने अमर उजाला और राजकिशोर ने जी यूपी छोड़ा
अमर उजाला, इलाहाबाद से विजय भट्ट ने इस्तीफा दे दिया है. वे उजाला के मीडिया साल्यूशन टीम के सदस्य थे. उन्होंने अपनी नई पारी कहां से शुरू की है इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. वे पिछले पांच सालों से अमर उजाला के साथ थे. बताया जा रहा है कि उन्होंने मैनजमेंट के रवैये से आहत होकर संस्थान को अलविदा कहा है.