भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन के दौरान संत निगमानंद की जान गई

[caption id="attachment_20586" align="alignleft" width="142"]स्वामी निगमानंद जीस्वामी निगमानंद जी[/caption]एक दुखद खबर देहरादून से है. साधु निगमानंद की मौत हो गई. वे अनशन पर थे और कोमा में चले गए थे. उनका इलाज हिमालयन अस्पताल में चल रहा था. निगमानंद ने 19 फरवरी को अनशन शुरू किया था. वे दो मई को कोमा में चले गए थे. उसके बाद उनका उपचार किया जाता रहा पर वे वापस नहीं लौटे.

बाबा रामदेव पर इंडिया टीवी वाले रजत शर्मा की टिप्पणी

Deshpremi Bharatvanshi नामक किन्हीं सज्जन ने deshpremi.bharat@gmail.com मेल आईडी से ग्रुप में मीडिया के सैकड़ों लोगों को एक मेल किया है, जिसमें एक लेख है और लेखक के बतौर इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा का नाम है. चूंकि ये मेल रजत शर्मा की मेल आईडी या इंडिया टीवी की मेल आईडी से आफिसियली नहीं आया है, इसलिए ये कनफ्यूजन है कि वाकई ये लेख रजत शर्मा का है या नहीं.

असल में, हमारा समाज और सरकारी व्यवस्था लोकतांत्रिक नहीं है

राजकिशोर: यह नागरिक जमात क्या होती है : जब भारत सरकार ने जन लोकपाल विधेयक पर अण्णा हजारे और उनके समूह के साथ दोस्ती कर ली, तभी मुझे शक हो गया था कि सरकार ने बहुत मजबूरी में यह समझौता किया है और उसके भावी इरादे ठीक नहीं हैं। जन लोकपाल विधेयक वाकई एक रेडिकल विधेयक है और वह संसद द्वारा पारित हो गया, तो भ्रष्टाचार के एक बड़े और अहम क्षेत्र को प्रदूषण-मुक्त किया जा सकता है।

अन्ना हजारे, रामदेव और कांग्रेस (अंतिम)

दिनेश चौधरी: हां, मैं बिका हुआ हूं! : “आप अमेरिका के साथ हैं या नहीं हैं?”… 9/11 के बाद बुश ने सारी दुनिया से यही वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछा था और चूंकि वह दुनिया का दादा है इसलिए प्रश्न के उत्तर में “इनमें से कोई नहीं” वाला विकल्प नहीं रखा था। जिन्होंने उत्तर “नहीं” में दिया वे सब आतंकवादी कहलाये। प्रतिबद्धताओं को स्पष्ट करने-कराने की बुश की यह नीति कालांतर में काफी लोकप्रिय हुई।

ईटी के पत्रकार ने रामदेव को दी ‘बीफ’ खाने की सलाह

[caption id="attachment_20555" align="alignleft" width="122"]जोजी फिलिप थामसजोजी फिलिप थामस[/caption]: ट्विटर पर बवाल : जोजी फिलिप थामस. नाम से जाहिर है कि ये क्रिश्चियन हैं. पत्रकार भी हैं. इकोनामिक टाइम्स, दिल्ली में काम करते हैं. ट्विटर पर इन्होंने बाबा रामदेव को सलाह दी कि अनशन के दौरान जो कमजोरी आ रही है, उसे दूर करने के लिए और स्टेमिना बढ़ाने के लिए वे ‘बीफ’ का सेवन करें. बीफ माने गो मांस.

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का धुंआ देख उसे तुरंत बुझाने में क्यों जुटे सत्ताधारी?

हरिवंश: दुनिया के एक विख्यात न्यायविद, न्यायमूर्त्ति हैंड ने कहा था, आजादी के बारे में… नैतिकता या भ्रष्टाचार के प्रसंग में भी वही चीज लागू है…. उनका कथन था, आजादी मर्दों-औरतों के दिलों में बसती है. जब वहां यह मर जाती है, तब इसे कोई संविधान, कानून या अदालत नहीं बचा सकती… :

पारदर्शिता क्रांति में नेता, अफसर, व्यवसायी बाधक

: पर अब रोके न रुकेगा यह महाभियान : भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम से कांग्रेस के अंदर भी खदबदाहट मची है. कोई कांग्रेसी चाहकर भी रामदेव और अन्ना के आंदोलन को सपोर्ट नहीं कर पा रहा क्योंकि देश में भ्रष्टाचार की जमनोत्री-गंगोत्री कांग्रेस को ही माना जाता है, और, बाबा व अन्ना का आंदोलन कांग्रेस के राज करने के तौर-तरीके के खिलाफ है जिसके कारण लाखों करोड़ रुपये विदेश में ब्लैकमनी के रूप में जमा है.

अन्ना के मंच से उतारी गईं वामपंथी नेता

[caption id="attachment_20540" align="alignleft" width="94"]कविता कृष्णनकविता कृष्णन[/caption]नई दिल्ली : राजघाट पर जुटे अन्ना हजारे के हजारों समर्थकों ने जंतर-मंतर की तरह ही एक बार फिर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में अन्य दलों के नेताओं को किसी भी तरह से जुड़ने नहीं दिया। अगर कोई पार्टी से जुड़ा व्यक्ति मंच पर दिखा भी तो उसे लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा और मजबूरन उस नेता को चुपचाप वहां से खिसक लेना पड़ा।

अन्ना हजारे, रामदेव और कांग्रेस – (एक)

दिनेश चौधरी: जब धर्म धंधे से जुड़ता है तो उसे योग कहते हैं- हरिशंकर परसाई : इस समय देश की राजनीति में कुकरहाव जैसा मचा हुआ है। पता नहीं आपके किस बयान को किस रूप में ले लिया जाये और हमले करने के लिये आप पर किसी प्रवक्ता को छोड़ दिया जाये। इन प्रवक्ताओं ने और कुछ किया हो या न किया हो, कुछ बातों को अच्छी तरह से स्थापित कर दिया है।

”अमूल बेबी” के बोल कब फूटेंगे

[caption id="attachment_20539" align="alignleft" width="94"]भूमिका रायभूमिका राय[/caption]: रामदेव से लेकर अन्ना और भाजपा तक को कुछ न कुछ मिला… हर बार की तरह इस बार भी ठगी गई सिर्फ जनता : एक बार फिर जनता ठगी-सी खड़ी है. अवाक है और परेशान भी। अवाक, क्योंकि जिन हाथों में उसकी सुरक्षा का दायित्व था, उन्हीं हाथों से उसे ज़ख्म मिले हैं और परेशान इसलिए, कि आखिर वो जाए तो जाए कहां?

निशंक का न्योता- रामदेव उत्तराखंड में सत्याग्रह करें, दिक्कत न होगी

दिल्ली के रामलीला मैदान से पुलिस कार्रवाई के जरिए सत्याग्रह-अनशन खत्म कराके बाबा व उनके भक्तों को बेदखल किए जाने के बाद जो ताजी स्थिति है, उसके मुताबिक रामदेव को सेना के हेलीकाप्टर से हरिद्वार ले जाया जा रहा है.  केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई भी बता चुके हैं कि आपरेशन रामदेव के तहत बाबा को हरिद्वार भेजा जाएगा. उधर, बाबा के हरिद्वार पहुंचने की भनक मिलते ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अंदर की राजनीतिक आत्मा जाग चुकी है.

बाबा व भक्तों पर जुल्म के खिलाफ आज ब्लैक डे मनाएं

यशवंत सिंहकुछ काम अन्ना ने किया और काफी कुछ बाबा ने कर दिखाया. अन्ना ने करप्ट कांग्रेसियों पर भरोसा किया और सरकार के झांसे में आ गए तो नतीजा ये है कि उन्हें अब रोना पड़ रहा है, मुद्दा पीछे छूट गया और तेवर पीछे रह गया. शेष है तो सिर्फ फिजूल की बैठकों का दौर और बेवजह की उठापटकों की चर्चाएं.

लोकपाल बन गया होता तो अनिल अंबानी अब तक जेल में होते

: अगर लोकपाल बन गया तो आधे मंत्री जेल में होंगे :  सरकार लोकपाल मामले को पटरी से उतारना चाहती है :  “2जी मामले में सीबीआई अगर निश्पक्ष तरीके से जांच कर रही होती तो अनिल अंबानी अब तक जेल में होते” ये बात कही जनलोकपाल पर बनी संयुक्त ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य प्रशांत भूषण ने सीएनईबी के सप्ताहिक कार्यक्रम क्लोज एनकाउंटर में। कार्यक्रम के होस्ट हैं वरिष्ठ पत्रकार किशोर मालवीय।

रामदेव के सत्याग्रह पर पत्रकारों की तीन त्वरित टिप्पणियां

: अपरोक्ष सत्ता संघर्ष ही है बाबा रामदेव का आंदोलन : प्रकृति, मानवता, समाज, देश हित, ईमानदारी और सच्चाई की बातों का कौन समर्थन नहीं करना चाहेगा? सकारात्मक मानसिकता वालों की तो बात ही छोडिय़े, इन मुद्दों पर नकारात्मक सोच रखने वाले भी हां में हां करते नजर आते हैं, ऐसे में योग गुरू बाबा रामदेव की बातें किसी को भला क्यूं बुरी लगेंगी?

अन्ना ने खाया धोखा पर होगी बाबा की जीत

आलोक कुमार: स्वामी रामदेव के आगे केंद्र सरकार के सारे दांव विफल होते नजर आ रहे हैं : रामदेव के आंदोलन में है लोहिया की खुशबू : योग गुरू रामदेव हठयोग की वैभवकारी मुद्रा में हैं। बाबा की मुद्रा से सियासी कुर्सी की चूलें हिली हुई है। सत्याग्रह का दायरा अन्ना हजारे की तुलना में व्यापक है।