किसी सूबाई सरकार के लिए सूचना महकमा उसके आंख-कान की भूमिका में होता है, जो उसकी योजनाओं को, उसके क्रियाकलापों को जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया के बीच एक कड़ी की भूमिका अदा करता है। इसका एक काम और भी होता है सरकार के पक्ष-विपक्ष से तालुक रखने वाली अखबारी कतरनों को समेटते रहना, ताकि सत्तासीन खुली आंखों से देख सकें। पर आज के राजाओं का सत्ता के मद में चूर होने का ही तकाजा है कि वे अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते और जो ऐसा करते हैं, उनके कान मरोड़ने के लिए सूचना विभाग जैसे विशालकाय हाथी की कमान उनकी मुठठी में होती है।