: साफ सुथरी राजनीति और समाज का सपना देखने वाले तमाम-तमाम लोगों के नाम : भारतीय राजनीति और समाज में हो रही भारी टूट-फूट और उथल-पुथल की आह, अकुलाहट और इस की आंच का तापमान भर नहीं है, वे जो हारे हुए। ज़िंदगी की जद्दोजहद का, जिजीविषा और उसकी ललक का आकाश भी है। मूल्यों का अवमूल्यन, सिद्धांतों का तिरोहित हो जाना, इन का अंतर्द्वंद्व और इस मंथन में हारते जा रहे लोगों के त्रास का अंतहीन कंट्रास्ट और उन का वनवास भी है।