कम होते मुनाफे से निपटने और आर्थिक मंदी से बचने के नाम पर अब टाइम्स ग्रुप ने अपने कर्मचारियों की तनख्वाह न बढ़ाने और पिछले इनक्रीमेंट में कटौती करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप ने अपने कर्मियों से कहा है कि उन्हें इस साल किसी तरह का कोई इनक्रीमेंट या धन लाभ नहीं दिया जाएगा। बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) के सीईओ रवि धारीवाल की तरफ से सभी बीसीसीएल कर्मियों को भेजे गए एक आंतरिक मेल में कहा गया है कि मीडिया इंडस्ट्री को अब तक के सबसे खराब दौर का सामना करना पड़ रहा है। धारीवाल के मुताबिक- ‘उन्होंने अपने जीवन में इस तरह की स्थिति नहीं देखी है।’
‘अगले साल मार्च तक लाभ में आओ वरना कंपनी बंद कर देंगे’
मेल में कहा गया है कि इस साल किसी भी तरह के सेलरी रिवीजन और टीवीपी (टारगेट वैरिएबल पे) की गुंजाइश नहीं है। संभव है कि कर्मचारियों के पिछले इनक्रीमेंट में कटौती कर दी जाए। एक अन्य खबर के अनुसार बीसीसीएल प्रबंधन ने अपने सभी कंपनियों के हेड को निर्देश दिया है कि वे कंपनी को अगले साल (2010) मार्च तक लाभ में ले आएं अन्यथा प्रबंधन को इन पर ताला लगाना पड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि सबसे ज्यादा मुश्किल वक्त टाइम्स ग्रुप के इंटरनेट विंग और ओओएच बिजनेस के लिए है। ये दोनों कंपनियां सबसे ज्यादा नुकसान में हैं और इन्हीं को सबसे पहले बंदी का शिकार होना पड़ सकता है।
ज्ञात हो, बीसीसीएल प्रबंधन ने कुछ महीनों पहले पूरे ग्रुप में जमकर छंटनी करते हुए स्टाफ साइज की रिस्ट्रक्चरिंग की थी। नए फरमान से संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में कर्मचारियों की सेलरी में बढ़ोतरी दो दूर, कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। बीसीसीएल में कास्ट कटिंग का दौर अगस्त 2008 से ही चल रहा है। इसके तहत कवर प्राइस बढ़ाने, पेजों की संख्या को रेशनलाइज करने, अनावश्यक खर्चों को बंद करने, स्टाफ साइज को रिस्ट्रक्चर करने जैसे कदम उठाए गए। पिछले चार महीनों में विज्ञापन से होने वाली आय में जबर्दस्त गिरावट के बाद टाइम्स ग्रुप ने फिर से खर्चों में कटौती के लिए अभियान छेड़ दिया है। इसी के तहत सेलरी व इनक्रीमेंट न बढ़ाने जैसे आदेश जारी किए जा रहे हैं और निकट भविष्य में कई और तुगलकी फरमान जारी किए जा सकते हैं।