त्रिवेणी ग्रुप का चैनल वायस आफ इंडिया अंदर ही अंदर सुलग रहा है। एक नहीं, दो नहीं, दर्जनों समस्याएं आन पड़ी हैं। हर समस्या के पीछे एक ही वजह है। और वो है रुपैया। कभी बकाएदार चैनल के अंदर घुस आते हैं और कई चेक बाउंस होने का हवाला देते हुए फाइनेंस के सीनियर लोगों को मारने के लिए दौड़ाते हैं। समय से सेलरी न मिलने और काम के दबाव व तनाव के चलते न्यूज के सीनियर लोग आपस में भिड़ जाते हैं। गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे प्रदेशों की राजधानियों में चैनल का बना बनाया आफिस व सेटअप इसलिए उखड़ जाता है क्योंकि यहां से आपरेट करने के लिए चैनल के पास पैसा नहीं है। इन राजधानियों के स्टाफ को या तो निकाल दिया जाता है या फिर दिल्ली तबादला कर दिया जाता है। कई ब्यूरो बंद किए जा रहे हैं। स्ट्रिंगरों का जो बकाया है, वो नहीं दिया जा रहा है।
अगर किसी का पचास हजार रुपये बकाया है तो उसे पांच हजार रुपये देकर निपटा दिया जा रहा है। रिलायंस के साथ लीजलाइन को लेकर हुआ कांट्रैक्ट भी डूबता जा रहा है। न्यूज वालों को बिजनेस लाने का काम दिया जा रहा है। इसी आधार पर अब प्रदेशों में शीर्ष पदों पर नियुक्तियां हो रही हैं।
इन सबके बारे में फिर कभी विस्तार से। फिलहाल दो सूचनाएं यहां दी जा रही हैं- न्यूज रूम में झगड़ा और गूगल की नजर में वीओआई।
पहली सूचना। वायस आफ इंडिया के इनपुट हेड व एसोसिएट मैनेजिंग एडीटर जेपी दीवान व आउटपुट के निशांत चतुर्वेदी के बीच जबरदस्त झड़प की सूचना है। बात हाथापाई तक आ पहुंची थी लेकिन लोगों ने बीच-बचाव कर शांत किया। बताया जाता है कि छोटी-सी बात पर दोनों में बात बढ़ती चली गई और दोनों आमने-सामने आ खड़े हुए। सूत्रों का कहना है कि दरअसल टीवी में बेहद प्रेशर होता है, और हर आदमी तनाव में होता है। वीओआई के मामले में कोढ़ में खाज ये कि सेलरी न मिलने से सबके सामने दिक्कतें और ज्यादा आ खड़ी हुई हैं। ऐसे में छोटा सा मुद्दा भी उबल पड़ने के लिए काफी होता है।
दूसरी सूचना यह है कि वीओआई का साथ अब उसकी वेबसाइट भी छोड़ती दिख रही है। गूगल पर वायस आफ इंडिया सर्च करने पर जो रिजल्ट आता है उसमें गूगल द्वारा अलग से सूचित किया जाता है कि यह वेबसाइट आपकी कंपनी के लिए नुकसानदायक है। यकीन न हो तो नीचे के लिंक पर क्लिक करें और देखें-
गूगल और वीओआई (एक) : गूगल और वीओआई (दो) : गूगल और वीओआई (तीन)