सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से न्यूज चैनलों को सलाह दिया गया है कि वे संयम बरतें। ऐसा कुछ न करें जिससे किसी की जान खतरे में पड़े। यह सलाह राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा मंत्रालय में दर्ज कराई गई एक शिकायत के बाद दी गई है। शिकायत में एनसीपीसीआर ने कहा कि 13 सितंबर को देश की राजधानी में बम धमाकों के बाद न्यूज चैनलों ने गुब्बारे बेचने वाले एक बच्चे के इंटरव्यू को बार-बार दिखाया। 12 वर्षीय राहुल ने धमाकों को अंजाम देने वाले शख्स को बम रखते देखने का दावा किया था। इस प्रकार वह इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी गवाह है। एनसीपीसीआर का कहना है कि इस बच्चे को दिखाने से इसकी जान खतरे में पड़ गई है। वो आतंकियों के निशाने पर आ चुका है। एनसीपीसीआर ने न्यूज चैनलों को असंवेदनशील करार दिया।
एनसीपीसीआर ने कहा है कि न्यूज चैनलों ने ट्रेजडी को कैश कराने की होड़ में बच्चे की सुरक्षा की बिलकुल चिंता नहीं की और उसकी पहचान देश-दुनिया के सामने उजागर कर दिया। आयोग की सदस्या संध्या बजाज का कहना है कि मीडिया को और ज्यादा जिम्मेदार बनने की जरूरत है। उन्हें यह एहसास होना चाहिए कि बच्चे की पहचान उजागर कर उसकी जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। उन्हें चेहरे व पहचान को छुपाना चाहिए था। यह मासूम अपनी सुरक्षा खुद नहीं कर सकता। इसकी चिंता चैनलों को होनी चाहिए थी।
इस शिकायत पर सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से इंडियन ब्राडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) और न्यूज ब्राडकास्टर एसोसिएशन (एनबीए) को कहा गया है कि वे न्यूज चैनलों को किसी की जान खतरे में डालनी वाली खबरें न दिखाने के लिए निर्देशित करें। साथ ही मंत्रालय ने खबरों के चयन में ज्यादा सावधानी और संयम बरतने की सलाह दी।