वायस आफ इंडिया में बड़े फेरबदल की खबर है। रामकृपाल सिंह के जाने के बाद ग्रुप एडीटर बने रविशंकर को प्रबंधन ने बैक टू पैवेलियन का इशारा कर दिया है। उन्हें और उनके खासमखास अम्मार अल्वी को बाकी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर 15 दिनों के भीतर लाइफ स्टाइल चैनल लांच करने के लिए कहा गया है। वीओआई रीजनल को हेड कर रहे मैनेजिंग एडीटर राजेश बादल को नेशनल की भी कमान सौंप दी गई है। खबर है कि प्रबंधन अब पूरा जोर यूपी पर लगा रहा है। इसके लिए टीम गठित कर दी गई है। यूपी को हेड कर रहे हैं अगस्त्य अरुणांचल। उनके टीम में प्रमुख भूमिका में प्रशांत कुमार हैं। ये दोनों हाल में ही इंडिया टीवी से इस्तीफा देकर वीओआई के हिस्से बने हैं। सूत्रों का कहना है कि वीओआई के नेशनल चैनल को अब एनसीआर चैनल के रूप में तब्दील करने की योजना है।
इसीलिए नेशनल टीम के ज्यादातर अच्छे लोगों को अब यूपी के चैनल के लिए लगा दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि रविशंकर के बेहद कड़क रवैये से चैनल के ज्यादातर कर्मी नाखुश थे। बात-बात में अपशब्द कहने और टीवी को प्रिंट के हिसाब से संचालित करने की कोशिश करने जैसे कुछ ऐसे मुद्दे थे जो न्यूज रूम के माहौल को काफी दिनों से असहज बनाए हुए थे। इसकी शिकायत लोगों ने प्रबंधन से कई बार की। न्यूज रूम के पत्रकारों से अभद्रता के कई प्रकरण हुए। इससे नाखुश कई पत्रकारों ने पिछले दिनों इस्तीफा भी दिया। प्रबंधन के पास रविशंकर और अम्मार को लेकर शिकायतों का अंबार था। बताते हैं कि चैनल प्रबंधन रविशंकर और अम्मार के कामधाम पर तीखी नजर रखने लगा। पानी सिर से उपर जाते देख इन दोनों को उनके मूल काम में लगने का इशारा कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि रविशंकर और अम्मार अल्वी शुरुआत में लाइफ स्टाइल चैनल को लांच करने के लिए ही लाए गए थे लेकिन रामकृपाल सिंह के जाने के बाद इन्हें प्रमुख भूमिका में ला दिया गया। रविशंकर को तो चैनल का ग्रुप एडीटर बना दिया गया, वहीं अम्मार को न्यूज रूम का सेनापति। अब जबकि प्रबंधन ने 15 नवंबर तक लाइफ स्टाइल चैनल लांच करने के आदेश दे दिए हैं, ये दोनों इस बात से परेशान हैं कि बिना किसी तैयारी के, इतने कम समय में कैसे चैनल लांच किया जा सकता है। चैनल के न्यूज रूम में रविशंकर और अम्मार की आवाजाही बंद होने से यहां के लोग बेहद खुश बताए जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि न्यूज रूम का नियंत्रण राजेश बादल ने अपने हाथों में ले लिया है।
अपनी लांचिंग से ही कई तरह के विवादों से घिरे वायस आफ इंडिया में लगातार होते बदलावों को विश्लेषक महत्वपूर्ण नहीं मान रहे। इनका कहना है कि असल दिक्कत कहीं और है, जिसे व्यक्तियों के लाने-निकालने और जिम्मेदारी में बदलाव करने के जरिए हल करने की कोशिश की जा रही है। दिक्कत है विजन का क्लीयर न होना। जब कोई माध्यम मीडिया के मूल उद्देश्यों से इतर, किसी अन्य मकसद से लाया जाता है तो उसके सफल होने की कल्पना नहीं की जा सकती। आखिरकार मीडिया माध्यमों को आम जन उनके तेवर, सोच, विजन, जन जुड़ाव के कारण पसंद और नापसंद करते हैं। इसी पसंद-नापसंद में मीडिया माध्यमों की सफलता-असफलता छिपी होती है। वीओआई का प्रबंधन चैनल के जरिए तुरत-फुरत बड़ा बिजनेस करने की कोशिश में लगा है। यह अधैर्य ही चैनल को समस्या की ओर ले जा रहा है।