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हिन्दी मनोरंजन चैनलों ने ली दक्षिण में बढ़त

वर्षों तक दूसरे स्थान पर रहे हिन्दी के मनोरंजन टीवी चैनलों ने अखिल भारतीय दर्शक संख्या में दक्षिण भारतीय भाषाओं के चैनलों को पीछे छोड़ दिया है। दीवी दर्शकों पर नजर रखने वाली टैम मीडिया रिसर्च प्रा.लि. के ताजा आकड़ों के मुताबिक हिन्दी मनोरंजन चैनलों की दर्शक संख्या इस वर्ष जनवरी से जुलाय के दौरान 26 फीसदी तक जा पहुंची। इसके विपरीत दक्षिण के क्षेत्रीय चैनलों का हिस्सा 25.7 फीसदी पर अटक गया। इस दर्शक संख्या में तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम के चैनल शामिल हैं। हालांकि दोनो के बीच फासला बेहद कम है लेकिन हिन्दी मनोरंजन चैनलों को पिछले चार वर्ष में मिली यह सबसे बड़ी दर्शक संख्या है। 

<p align="justify">वर्षों तक दूसरे स्थान पर रहे हिन्दी के मनोरंजन टीवी चैनलों ने अखिल भारतीय दर्शक संख्या में दक्षिण भारतीय भाषाओं के चैनलों को पीछे छोड़ दिया है। दीवी दर्शकों पर नजर रखने वाली टैम मीडिया रिसर्च प्रा.लि. के ताजा आकड़ों के मुताबिक हिन्दी मनोरंजन चैनलों की दर्शक संख्या इस वर्ष जनवरी से जुलाय के दौरान 26 फीसदी तक जा पहुंची। इसके विपरीत दक्षिण के क्षेत्रीय चैनलों का हिस्सा 25.7 फीसदी पर अटक गया। इस दर्शक संख्या में तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम के चैनल शामिल हैं। हालांकि दोनो के बीच फासला बेहद कम है लेकिन हिन्दी मनोरंजन चैनलों को पिछले चार वर्ष में मिली यह सबसे बड़ी दर्शक संख्या है। </p>

वर्षों तक दूसरे स्थान पर रहे हिन्दी के मनोरंजन टीवी चैनलों ने अखिल भारतीय दर्शक संख्या में दक्षिण भारतीय भाषाओं के चैनलों को पीछे छोड़ दिया है। दीवी दर्शकों पर नजर रखने वाली टैम मीडिया रिसर्च प्रा.लि. के ताजा आकड़ों के मुताबिक हिन्दी मनोरंजन चैनलों की दर्शक संख्या इस वर्ष जनवरी से जुलाय के दौरान 26 फीसदी तक जा पहुंची। इसके विपरीत दक्षिण के क्षेत्रीय चैनलों का हिस्सा 25.7 फीसदी पर अटक गया। इस दर्शक संख्या में तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम के चैनल शामिल हैं। हालांकि दोनो के बीच फासला बेहद कम है लेकिन हिन्दी मनोरंजन चैनलों को पिछले चार वर्ष में मिली यह सबसे बड़ी दर्शक संख्या है। 

2006 तक दर्शक संख्या के लिहाज से इसका हिस्सा 22 फीसदी पर अटका हुआ था। विशेषज्ञों के अनुसार हिन्दी मनोरंजन चैनलों की यह दर्शक वृद्धि दक्षिण के चैनलों की कीमत पर नहीं हुई है। सच तो यह है कि कलर्स, एनडीटीवी इमेजिन, 9एक्स जैसे नए चैनलों के शुरू होने तथा मसालेदार रियलिटी शो के तड़के ने हिन्दी चैनलों को नए दर्शक दिए हैं। मात्र एक वर्ष पहले लॉन्च हुए कलर्स चैनल ने सास-बहू के किस्सों को पटखनी देते हुए बाल विवाह आधारित अपने ‘बालिका वधू’ सीरियल के जरिए दूसरे चैनलों के लिए जबर्दस्त चुनौती पेश की। फिलवक्त यह हिन्दी मनोरंजन चैनलों के शीर्ष दो कार्यक्रमों में से एक है। दर्शकों तक खुद टैम के विस्तार ने भी हिन्दी चैनलों की दर्शक संख्या में हुए इजाफे में योगदान किया है। (दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली के आज के अंक में प्रकाशित इशिता रसेल की रिपोर्ट)

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