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मीडिया 2010 : हे टीवी संपादकों, एक प्रण लीजिए

कुछ ही दिनों में नया साल शुरू होने वाला है. मैं इस मौके पर आप सब के कुशल और खुशहाल जीवन की कामना करता हूं. मैं और मेरे जैसे आपके हजारों दर्शक यही कामना करते हैं. अपके दर्शक आप सब से बेहद प्यार करते हैं और एक लगाव भी महसूस करते हैं. देखिए, जहां प्यार और लगाव होता है वहीं शिकायतें होती हैं, नाराजगी होती है. यही कारण है कि जब आप अपने चैनल पर कोई ऐसी-वैसी खबर दिखाते हैं तो हम आप पर बरस पड़ते हैं. आपसे शिकायत करते हैं और अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं. ये नाराजगी, ये शिकायत केवल इसलिए होती है कि आप कुछ अच्छा दिखाएं. कुछ अच्छी बात बताएं. 

<p align="justify">कुछ ही दिनों में नया साल शुरू होने वाला है. मैं इस मौके पर आप सब के कुशल और खुशहाल जीवन की कामना करता हूं. मैं और मेरे जैसे आपके हजारों दर्शक यही कामना करते हैं. अपके दर्शक आप सब से बेहद प्यार करते हैं और एक लगाव भी महसूस करते हैं. देखिए, जहां प्यार और लगाव होता है वहीं शिकायतें होती हैं, नाराजगी होती है. यही कारण है कि जब आप अपने चैनल पर कोई ऐसी-वैसी खबर दिखाते हैं तो हम आप पर बरस पड़ते हैं. आपसे शिकायत करते हैं और अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं. ये नाराजगी, ये शिकायत केवल इसलिए होती है कि आप कुछ अच्छा दिखाएं. कुछ अच्छी बात बताएं.  </p>

कुछ ही दिनों में नया साल शुरू होने वाला है. मैं इस मौके पर आप सब के कुशल और खुशहाल जीवन की कामना करता हूं. मैं और मेरे जैसे आपके हजारों दर्शक यही कामना करते हैं. अपके दर्शक आप सब से बेहद प्यार करते हैं और एक लगाव भी महसूस करते हैं. देखिए, जहां प्यार और लगाव होता है वहीं शिकायतें होती हैं, नाराजगी होती है. यही कारण है कि जब आप अपने चैनल पर कोई ऐसी-वैसी खबर दिखाते हैं तो हम आप पर बरस पड़ते हैं. आपसे शिकायत करते हैं और अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं. ये नाराजगी, ये शिकायत केवल इसलिए होती है कि आप कुछ अच्छा दिखाएं. कुछ अच्छी बात बताएं. 

आप ही सोचिए, अगर हमे आपसे मतलब नहीं होता, आपसे कुछ अच्छे की उम्मीद नहीं होती तो हम आपको क्यों देखते? अगर हम नहीं देखते तो आप क्यों कुछ दिखाने के लिए बैठे होते? पिछ्ले दिनों मैंने कई संपादकों को पढ़ा और सुना है. आप में से कुछ को फेसबुक पर पढने और जानने का मौका मिला तो कइयों को सभा-संगत में सुनने का मौका मिला. आपको पढ़ कर और सुन कर ऐसा लगा कि आप लोग आलोचना करने वालों को अपना दुश्मन मान कर बैठे हैं. शायद आपको यह लगता है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो आपको हमेशा ही गाली देने के लिए तैयार रहते हैं.  

लेकिन ऐसा नहीं हैं. हमे अच्छा नहीं लगता जब आप अपने चैनल पर यह दिखाते हैं कि 2012 में दुनिया तबाह हो जाएगी. हमे तब निराशा होती है जब आप खबर दिखाने की जगह हंसी का फुल डोज देने लगते हैं. दुख होता है जब आप शाम के समय यह दिखाते हैं कि किस रियालिटी शो में क्या हो रहा है. हमे झल्लाहट होती है जब आप जल्दी-जल्दी में आरुषि के पिता को उसका खूनी बता देते हैं. हमे घृणा होती है जब कई बार आप पुलिस और प्रशासन के द्वारा कही गई बात को ही सच मान लेते हैं और उसे हमारे सामने जस का तस पेश करते हैं.

हम चाहते हैं कि आप हमें खबर दिखाएं, कुछ और नहीं. आपको यह तय करना होगा कि आप क्या करना चाहते हैं और क्या दिखाना चाहते हैं? आपको यह तय करना ही पड़ेगा कि आपके करीब कौन है? आपका दर्शक या टैम की साप्ताहिक रिपोर्ट. जनहित या मार्केट. अगर आपके करीब आपका दर्शक है तो चलिए इस नए साल के मौके पर आप सब एक प्रण लीजिए कि आप 2010 में खबरें दिखाएंगे, और कुछ नही. अपने दर्शकों से यह वादा कीजिए कि आप टैम के आगे नहीं झुकेंगे बल्कि उस टैम को, जिसे आप भी पंसद नहीं करते हैं अपने सामने, अपने दर्शकों के सामने घुटनों के बल बैठने के लिए मजबूर कर देंगे. यकीन मानिए, आपका दर्शक आपके ही साथ रहेगा.

आपका ही एक दर्शक

विकास कुमार

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