महाराष्ट्र सरकार ने निजी टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाली खबरों पर निगरानी के लिए सूचना व प्रसारण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में पुलिस और महिला व बाल कल्याण के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार 26/11 के आत्मघाती आतंकवादी हमले के दौरान कुछ निजी टीवी चैनलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की परवाह न करते हुए खबरों का प्रसारण किया था।
इससे आहत तत्कालीन केंद्रीय सूचना व प्रसारण और विदेश मंत्री आनंद शर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर निजी टीवी चैनलों पर निगरानी रखने के लिए एक समिति गठित की थी। केंद्र द्वारा गठित इसी समिति के तर्ज पर अब महाराष्ट्र सरकार ने भी पांच सदस्यीय निगरानी समिति बनाई है। यह समिति निजी टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाली सामग्री पर निगरानी रखेगी। यदि उसे कुछ भी आपत्तिजनक लगता है, तो वह इसकी सूचना केंद्र द्वारा स्थापित समिति को देगी। बताया जा रहा है कि यह समिति लोकल केबल चैनलों पर नजर रखने के लिए जिलास्तर पर भी समिति बनाएगी। साभार : दैनिक भास्कर
"उम्र कैदी"
October 12, 2010 at 2:50 pm
लेखन के लिये “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव जीते हैं, लेकिन इस समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये मानव जीवन ही अभिशाप बन जाता है। अपना घर जेल से भी बुरी जगह बन जाता है। जिसके चलते अनेक लोग मजबूर होकर अपराधी भी बन जाते है। मैंने ऐसे लोगों को अपराधी बनते देखा है। मैंने अपराधी नहीं बनने का मार्ग चुना। मेरा निर्णय कितना सही या गलत था, ये तो पाठकों को तय करना है, लेकिन जो कुछ मैं पिछले तीन दशक से आज तक झेलता रहा हूँ, सह रहा हूँ और सहते रहने को विवश हूँ। उसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह आप अर्थात समाज को तय करना है!
मैं यह जरूर जनता हूँ कि जब तक मुझ जैसे परिस्थितियों में फंसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, समाज के हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यह भी एक बडा कारण है।
भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस प्रकार के षडयन्त्र का कभी भी शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल कुछ मिनट का समय हो तो कृपया मुझ “उम्र-कैदी” का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आपके अनुभवों/विचारों से मुझे कोई दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये! लेकिन मुझे दया या रहम या दिखावटी सहानुभूति की जरूरत नहीं है।
थोड़े से ज्ञान के आधार पर, यह ब्लॉग मैं खुद लिख रहा हूँ, इसे और अच्छा बनाने के लिए तथा अधिकतम पाठकों तक पहुँचाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने वालों का आभारी रहूँगा।
http://umraquaidi.blogspot.com/
उक्त ब्लॉग पर आपकी एक सार्थक व मार्गदर्शक टिप्पणी की उम्मीद के साथ-आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”