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‘कात्यायनी’ में घमासान, आफिस पहुंची पुलिस

चैनल बंद करने का मन बना रहे हैं निदेशक : लगता है मां दुर्गे का आशीर्वाद धार्मिक चैनल ‘कात्यायनी’ को नहीं मिला। नवरात्र में लांच हुए इस चैनल के दुर्दिन शुरू हो गए हैं। मां दुर्गे के विविध रूपों-स्वरूपों, चरित्रों, आख्यानों, दर्शनों को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किए गए कात्यायनी चैनल के अंदरखाने भयानक उठापठक होने की खबरें हैं। सबसे बड़ी खबर तो यही है कि मालिकों ने अब इस चैनल को न चलाने का इरादा बना लिया है और इसकी घोषणा कुछ ही दिनों में की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि चैनल के कर्ताधर्ता चेयरमैन वीके श्रीवास्तव, मैनेजिंग डायरेक्टर जेके श्रीवास्तव और डायरेक्टर ललित श्रीवास्तव इस बात से आहत हैं कि उन्हें झूठे ख्वाब दिखाकर चैनल शुरू कराया गया और अब जब चैनल शुरू हो गया है तो पता चल रहा है कि इसे चलाने के लिए लंबा-चौड़ा बजट चाहिए, जो वे खर्च कर सकने की मनःस्थिति में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक प्रज्ञान भट्टाचार्या और पार्थो घोष के इस्तीफे के बाद कात्यायनी चैनल के अंदर कोई न कोई तमाशा हर रोज हो रहा है।

चैनल बंद करने का मन बना रहे हैं निदेशक : लगता है मां दुर्गे का आशीर्वाद धार्मिक चैनल ‘कात्यायनी’ को नहीं मिला। नवरात्र में लांच हुए इस चैनल के दुर्दिन शुरू हो गए हैं। मां दुर्गे के विविध रूपों-स्वरूपों, चरित्रों, आख्यानों, दर्शनों को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किए गए कात्यायनी चैनल के अंदरखाने भयानक उठापठक होने की खबरें हैं। सबसे बड़ी खबर तो यही है कि मालिकों ने अब इस चैनल को न चलाने का इरादा बना लिया है और इसकी घोषणा कुछ ही दिनों में की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि चैनल के कर्ताधर्ता चेयरमैन वीके श्रीवास्तव, मैनेजिंग डायरेक्टर जेके श्रीवास्तव और डायरेक्टर ललित श्रीवास्तव इस बात से आहत हैं कि उन्हें झूठे ख्वाब दिखाकर चैनल शुरू कराया गया और अब जब चैनल शुरू हो गया है तो पता चल रहा है कि इसे चलाने के लिए लंबा-चौड़ा बजट चाहिए, जो वे खर्च कर सकने की मनःस्थिति में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक प्रज्ञान भट्टाचार्या और पार्थो घोष के इस्तीफे के बाद कात्यायनी चैनल के अंदर कोई न कोई तमाशा हर रोज हो रहा है।

इस चैनल में ज्यादातर काम करने वाले प्रज्ञान व पार्थो के द्वारा ही रखे गए हैं। एक घटनाक्रम के अनुसार चैनलों को डाउनलिंक-अपलिंक करने वाली कंपनी एस्सेल श्याम के रोहित रोहन और ‘कात्यायनी’ के वाइस प्रेसीडेंट शेली विश्वनाथ के बीच दफ्तर के गेट पर मारपीट जैसी नौबत आई। इसकी शिकायत पुलिस तक कर दी गई। पुलिस वाले आफिस में घुस आए। सूत्रों का कहना है कि यह सारा घटनाक्रम वरिष्ठ पत्रकार माधवकांत मिश्रा के सामने हुआ। बताया जाता है कि माधवकांत ‘कात्यायनी’ के मालिकों से मिलने के लिए पहुंचे थे। हालांकि भड़ास4मीडिया से बातचीत में माधवकांत का कहना है कि मारपीट की घटना उनके जाने के बाद हुई होगी, उनके सामने नहीं हुई। आफिस में पुलिस के घुस आने के बाद मामले को निपटाने में चैनल के निदेशकों तक को जुटना पड़ा। मारपीट के प्रकरण के बारे में शैली विश्वजीत का पक्ष जानने के लिए भड़ास4मीडिया ने उन्हें फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। 

सूत्रों से मिली एक अन्य जानकारी के अनुसार ‘कात्यायनी’ के आफिस में आजकल सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बैठने लगे हैं। बताया जाता है कि ये अधिकारी महोदय मंत्रालय से अवकाश लेकर ‘कात्यायनी’ के संचालन को सुधारने में जुटे हुए हैं। ‘कात्यायनी’ के कई कर्मियों ने अधिकारी महोदय की तस्वीरें उतार ली हैं और इनकी शिकायत मंत्रालय के वरिष्ठों से किए जाने की तैयारी चल रही है।

मारपीट, पुलिस हस्तक्षेप, लगातार बढ़ते खर्चे और आंतरिक उठापटक को देखकर कात्यायनी के संचालक श्रीवास्तव बंधु चैनल बंद करने के मूड में आ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक इन लोगों को अब महसूस होने लगा है कि चैनल खोलकर गलत जगह हाथ डाल दिया है। उधर, कात्यायनी से जुड़े कुछ वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन खर्च नहीं कर रहा है जिसके कारण चैनल की स्थिति खराब हो गई है। डिस्ट्रीव्यूशन वालों को पैसा न देने के कारण चैनल की विजिबिलिटी खत्म हो रही है। एस्सेल श्याम का पेमेंट नहीं हुआ है। डेकोरेशन और अन्य चीजों का भी पेमेंट नहीं हुआ है।

सूत्रों के मुताबिक श्रीवास्तव बंधु ने प्रज्ञान व पार्थो को चैनल में 26 फीसदी स्टेक देने का वादा किया था लेकिन स्टेक देने की जगह इन लोगों को चैनल से ही बाहर कराने की रणनीति बना ली और ऐसा किया भी। वहीं, कुछ अन्य लोगों का कहना है कि श्रीवास्तव बंधुओं को प्रज्ञान व उनके लोगों ने चैनल संचालन के लिए लगने वाले बजट से लेकर अन्य कई चीजों के बारे में अंधेरे में रखा। ये लोग वास्तविकता न बताकर अपने मन मुताबिक कार्य करते-कराते रहे। अब जब श्रीवास्तव बंधुओं को लग रहा है कि चैनल चलाना बेहद महंगा सौदा है तो उनके हाथ-पांव फूल रहे हैं। वे कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं जिनमें चैनल बंद करना भी है। भड़ास4मीडिया ने इस बारे में चैनल के निदेशकों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई।


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