अम्बाला (हरियाणा) में पिछले दिनों मिलावट का धंधा रंगे हाथ पकड़ने वाले एक चैनल रिपोर्टर को उल्टे मुजरिम बना दिया गया। इसी जुर्म में चैनल ने अपने रिपोर्टर को नौकरी से हटा दिया। पूरे मामले पर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी चुप्पी साधे हैं। चैनल एमएच वन न्यूज के पीड़ित रिपोर्टर एसपी भाटिया ने बी4एम को बताया कि उन्हें नकली डालडा घी के मिलावटखोरों के बारे में एक सूचना मिली। मामले की तह तक पहुंचने के लिए उन्होंने उस संदिग्ध व्यक्ति का पीछा किया और परचून करियाना की दुकान पर उसे नकली डालडा (वनस्पति) घी बेचते रंगे हाथों पकड़ लिया। उसने इनकार करते हुए कह दिया कि नकली घी का टिन उसका है ही नहीं। वह कनस्तर, जिस पर राजहंस वनस्पति लिखा था, खोलने पर पता चला कि उसमें मात्र सूखा पाउडर भरा है, जिसमें बाद में तेल नुमा कोई तरल पदार्थ डाल दिया जाता है और फिर उसे शुद्ध डालडा घी बताकर ग्राहकों को बेचा जाता है। भाटिया ने बताया कि जब वह इस गोरखधंधे के संबंध में पूछताछ कर ही रहे थे, तभी वह काला कारोबारी झट मौके से भाग निकलने की जुगत में लग गया। हमने भी उसका पीछा नहीं छोड़ा, लेकिन वह तो इतना शातिर निकला कि ख़ुद को साफ-साफ फंसते देख उसने शोर मचाकर दूसरे काले कारोबारियों को इकट्ठा कर लिया। वे सब एकजुट होकर विरोध करने लगे। वीडियो कैमरा क्षतिग्रस्त कर दिया।
भाटिया ने तुंरत पुलिस को फोन लगाया लेकिन कंट्रोल रूम से कोई मदद नहीं मिली। इस बीच मिलावटखोरों के समर्थक कुछ पत्रकार और नेता भी उनके पक्ष में जुट आए। उन सबके दबाव में खामोशी साधे पुलिस ने भाटिया को अवैध हिरासत में लेकर उनके खिलाफ ही रुपये-पैसे मांगने की झूठी रिपोर्ट दर्ज कर ली। भाटिया का पहले हार्ट अटैक हो चुका था, इसलिए तबीयत बिगड़ने के भयवश उन्हें जेल भेजने की बजाय अस्पताल में पुलिस निगरानी में रखा गया। बाद में जब शहर के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को सारे मामले की हकीकत का पता चला तो उन्होंने काले करोबारियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने की मांग जिला एसपी के सामने रखी। उन्हें बताया गया कि सारी हकीकत कैमरे में रिकार्ड है। इसके आधार पर कानूनी करवाई की जाए। इसके बाद काले कारोबारियों के हाथ-पांव फूल गए।
इसी बीच मुख्यमंत्री हुड्डा के मीडिया कोआर्डिनेटर दिलीप चावला बिट्टू भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मिलावटखोरों पर क्षतिग्रस्त वीडियो कैमरे का हर्जाना देने का दबाव डाला। अब वे सभी मामला रफा-दफा कराने के लिए पुलिस पर दबाव डालने के साथ ही माफ़ी तक मांगने को तैयार हो गए। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर लेने के कारण हलफनामा तैयार कराया, ताकि भाटिया का पक्ष भी संलग्न किया जा सके। देखते ही देखते उनका साथ दे रहे फर्जी पत्रकार भी रंग बदलने लगे। पूरे घटनाक्रम की रिकार्डिंग के बावजूद पुलिस प्रशासन ने भी ऊपरी दबावों मे चुप्पी साध ली। पुलिस ने रंगेहाथ पकड़े जाने के बावजूद ये तक जानने की कोशिश नहीं की कि आख़िर कहां से नकली घी का जहरीला पाउडर सप्लाई हो रहा है? पकड़े गए माल का सेम्पल तक नहीं भरा गया।
भाटिया ने बताया कि जब उन्होंने यह घटनाक्रम अपने चैनल पर प्रसारित कराने की कोशिश की तो चैनल वालों ने भी हाथ खींच लिया और समाचार दिखाने से साफ मना कर दिया। इतना ही नहीं, इस सनसनीखेज कवरेज के जुर्म में उन्हें उल्टे नौकरी से ही हटा दिया गया। उन्होंने बताया कि मिलावट का ये हाल सिर्फ खाद्य तेलों, घी, डालडा कारोबार में ही नहीं चल रहा, नकली दवानिर्माता भी किसी से पीछे नहीं हैं। हरियाणा के दवा बाजार जीवन रक्षक नकली दवाओं से पटे पड़े हैं। खुलेआम लाखों-करोड़ों लोगों की सेहत से खेला जा रहा है।