बड़े न्यूज चैनलों में आजकल ताबड़तोड़ बैठकें चल रही हैं। सारे काम करने वालों को समझाया जा रहा है। नान-न्यूज से तौबा करो। न्यूज की तरफ लौटो। ऐसा नहीं कि यह सब हृदय परिवर्तन के कारण हो रहा है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय का दबाव रंग लाया है। अंबिका सोनी न्यूज चैनलों पर दबाव बनाए हुए हैं। उन्होंने कई बार इशारे-इशारे में और कई बार खुलकर कहा है कि खबर की तरफ लौटो वरना सरकार को कुछ करना पड़ेगा। ब्राडकास्टिंग अथारिटी का गठन करना पड़ेगा। तब न्यूज चैनलों को दिक्कत होने लगेगी। न्यूज चैनलों पर दिखाए जाने वाले नान-न्यूज कार्यक्रमों को सरकार के बाबू लोग देखकर पास या फेल करने लगेंगे कि ये खबर है या नहीं। तो यह सब हो, इससे अच्छा है कि खुद सुधर जाओ। आत्म-नियंत्रण पर अमल करो। अपने आप रास्ते पर लौट आओ।
सूत्रों के मुताबिक आईबी मिनिस्ट्री के दबाव और रुख को भांपते हुए बड़े चैनलों ने रास्ते पर लौटने का इरादा कर लिया है। हंसी-ठहाके और भूत-पिशाच को गुडबाय बोलने की तैयारी कर ली है। आज तक न्यूज चैनल से मिली खबर के मुताबिक वहां न्यूज रूम के वरिष्ठ लोग कई बैठकों के जरिए स्टाफ को न्यूज पर खेलने का ज्ञान दे रहे हैं। इसी तरह एनडीटीवी से खबर है कि वहां भी बैठकों का दौर जारी है और न्यूज को बेहतर तरीके से परोसेने की कवायद पर बातचीत चल रही है। इंडिया टीवी ने भी अपने तेवर ढीले करते हुए ज्यादा वक्त न्यूज के साथ बिताने का फैसला लिया है। मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि न्यूज चैनलों को अब बदलने का दौर आ गया है।
चौतरफा दबावों के बावजूद अभी तक न्यूज की पटरी से बार-बार उतरने वाले चैनलों को आईबी मिनिस्ट्री का दबाव झेला नहीं जा रहा है। उन्हें डर भी सता रहा है कि अगर सरकार ने आगे बढ़कर कोई ऐसा तंत्र बना दिया जो न्यूज चैनलों के कार्यक्रमों पर निगरानी रखे तो न्यूज चैनलों को काफी मुश्किल होने लगेगी। इसी कारण न्यूज चैनलों के वरिष्ठों ने फैसला कर अब फुल टाइम न्यूज पर डटे रहने की कसम खाई है। देखना है कि यह कसम मूर्त रूप ले पाता है या नहीं और मूर्त रूप ले पाता है तो न्यूज चैनल के दिग्गज इस पर कितने दिनों तक अमल कर पाते हैं।