आईबीएन7 के सीनियर एडिटर विवेक ने इस्तीफा दिया : विवेक अवस्थी ने टीवी जर्नलिज्म को फिलहाल बाय बोल दिया है। ऐसा उन्होंने इस माध्यम के तनावों व दबावों के चलते किया। वे सीनियर एडिटर पद पर आईबीएन7 में कार्यरत थे। विवेक अवस्थी 18 वर्षों से पत्रकारिता में हैं और प्रिंट व टीवी, दोनों माध्यमों में काम किया है। बी4एम ने जब विवेक से संपर्क किया तो उन्होंने इस्तीफे की पुष्टि की। क्या करने जा रहे हैं, इस सवाल पर विवेक ने बताया कि हम तीन चार दोस्त एक नया वेंचर प्लान कर रहे हैं। यह वेंचर जब कोई शेप लेगा तो आपको खबर कर देंगे। क्यों छोड़ा टीवी जर्नलिज्म, कोई खास वजह? इस सवाल पर विवेक ने कहा- कोई खास वजह नहीं।
आशुतोष (आईबीएन7 के मैनेजिंग एडिटर) मेरा 15 साल पुराना मित्र है। हम लोग एसपी सिंह के आज तक से पहले बीआई टीवी से साथ हैं। स्कूटर-मोटरसाइकिल पर साथ-साथ टहलते थे। इसलिए कोई वजह होने का मतलब ही नहीं है। मैंने स्वेच्छा और सोच-समझकर इस्तीफा दिया है। पिछले तीन वर्षों से आईबीएन7 में हूं। बहुत अच्छा रहा यहां कार्यकाल।
18 वर्षों के अपने पत्रकारीय करियर के बारे में विवेक बताते हैं कि उनके घर का माहौल पत्रकारिता और पढ़ाई-लिखाई वाला रहा है। पिता जी रामकृष्ण अवस्थी नेशनल हेराल्ड में डिप्टी न्यूज एडिटर थे। बाद में एनआईपी (नादर्न इंडिया पत्रिका) के लखनऊ के रेजीडेंट एडिटर बने और फिर कानपुर में एनआईपी लांच कराया। मेरे ताऊजी डा. हरिकृष्ण अवस्थी शिक्षक सीट से एमएलसी रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी रहे। तो मेरे घर का जो माहौल था, उससे पढ़ाई-लिखाई और पत्रकारिता बचपन से मेरे खून में है। घर के माहौल के कारण ही जर्नलिज्म में आया। सन 1991 में दिल्ली में पेट्रियाट से पत्रकारिता की शुरुआत की। बाद में हिंदुस्तान टाइम्स और पायनियर पहुंचा। टीवी की शुरुआत होने पर बीआई टीवी जिसे टीवीआई भी कहा जाता है, पहुंचा। एसपी के साथ डेढ़-दो साल काम किया। स्टार और एनडीटीवी होते हुए आईबीएन7 पहुंचा।
आधुनिक टीवी जर्नलिज्म में दबाव व तनाव के बारे में विवेक साफौतर पर स्वीकारते हैं कि टीवी में बहुत प्रेशर है। विवेक के मुताबिक, ‘मैं काफी दिनों से सोच रहा था कि यह दबाव व तनाव वाली जिंदगी कब तक चलती रहेगी। 39 का हो गया हूं। घर-परिवार की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं। पत्नी, बच्चों व दोस्तों को वक्त नहीं दे पाता। आफिस की टाइमिंग पता है। बच्चे सो रहे होते हैं तो घर पहुंचता हूं। बच्चे स्कूल जा रहे होते हैं तो मैं सो रहा होता हूं। नौकरी किस कीमत पर? यह सवाल मन में द्वंद्व पैदा किए हुए था। टीवी में इतना कंपटीशन है कि यहां एक-एक सेकेंड की लड़ाई लड़ी जा रही है। इस्तीफा दे दिया है तो इसका मतलब यह नहीं कि मैंने पत्रकारिता को पूरी तरह बाय-बाय बोल दिया है। मैंने आप्शन खोल रखे हैं। लिखना-पढ़ना जारी रखूंगा। ढंग का आफर मिलता है, जिसमें प्रेशर नहीं है, तो उस पर विचार करूंगा। हां, लेकिन यह सच है कि मैं हाईटेंशन जाब करने की स्थिति में नहीं हूं।’