रांची के कुंदन कुमार ने भड़ास4मीडिया के पास एक पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने अपने साथ हुए शोषण और अपमान की कहानी बयान की है। नए-नए खुल रहे चैनलों की अंदर की हालत को बयान करने वाले इस पत्र में कुंदन ने काम के बदले पैसे न दिए जाने पर इस्तीफा देने की बात कही है। कुंदन रांची से नए लांच होने वाले चैनल रफ्तार से जुड़े हुए थे। अपने पत्र में उन्होंने रफ्तार चैनल के सीईओ, मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन का जिक्र किया है। कुंदन के आरोपों पर भड़ास4मीडिया ने रफ्तार के चेयरमैन से बातचीत की। उनका भी पक्ष दिया जा रहा है। पहले कुंदन का पत्र-
”मैं कुन्दन कुमार, पिछले 18 महीनों से रांची से शुरू होने वाला चैनल रफ्तार टीवी में विडियो एडिटर और कैमरामैन के रूप मे कार्यरत था। इन 18 महीनों में मुझे कंपनी के तरफ से न कोई ज्वाइनिंग लेटर दिया गया, न ही काम के पैसे दिये गए। अगर कुछ मिला तो सिर्फ आश्वासन मिला। वेतन भुगतान के नाम पर बस आज और कल करके टाला जाता रहा। मैं इस आस में काम पर लगा रहा कि आज नही तो कल, वेतन मिलना शुरू हो जाएगा। जब वेतन भुगतान की मैने मांग की तो चैनल के सीईओ आशुताश चौधरी ने भी सिर्फ आश्वासन ही दिया। जब बर्दाश्त की हद हो गयी तो मैंने अपना त्यागपत्र चैनल के सीईओ को सौंप दिया। लेकिन उस वक्त आशुताश जी ने उसे स्वीकृत नहीं किया। उन्होंने इस संबंध में बाद में बात करने की बात कही। फिर मैंने कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर गौरव सिंह को 27-7-2009 को 12 बजकर 33 मिनट पर फोन किया और उनसे अपने द्वारा किये गये काम के बदले अनुभव प्रमाण पत्र देने की मांग की तथा अपने बकाया राशि भुगतान करने की बात कही। दिनांक 27-7-2009 को ही तकरीबन एक बजे गौरव सिंह ने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया और मेरे सभी बकाया पैसों के भुगतान के लिए सीईओ आशुतोश चौधरी के चैंबर में मिलने को कहा। तभी वहां कंपनी के चेयरमैन हरेंद्र सिंह आ पहुंचे और मुझे धमकी भरे शब्दों मे वेतन भुगतान न करने की बात कही और कंपनी से बाहर निकल जाने का मौखिक आदेश दिया तथा सबके सामने अपमानित किया और मारने पीटने की धमकी भी दी। मेरी तरह ये कम्पनी तीस से पैंतीस लोगों से इसी तरह बिना किसी वेतन भुगतान के काम करवा रही है, जिन्हें भी आज तक न कोई नियुक्ति पत्र और न ही किसी तरह का वेतन दिया जा रहा है। जिन्होंने भी वेतन भुगतान की मांग की तो उन्हें मौखिक आदेश देकर चैनल से निकाल दिया जाता है। इसी संबंध में कंपनी के एक कर्मी विनोद कुमार ने वेतन नहीं देने पर कंपनी के सीईओ आशुताश चौधरी के नाम कानूनी नोटिस भेजा है। रफ्तार मीडिया प्राइवेट लिमिटेड कर्मचारियों को पैंतालिस दिनों के लिए अण्डर आब्जर्वेशन पर रखती है और जब तनख्वाह देने की बारी आती है तो उन्हें किसी न किसी बहाने प्रताड़ित कर कंपनी से निकाल दिया जाता है। अब तक दर्जनों लागों को इसी तरह बेइज्जत करके कंपनी से निकाला जा चुका है। बताया जा रहा है कि चैनल को अभी तक टेलीकास्ट की अनुमति नहीं मिली है पर चैनल अपने कर्मचारियों को भ्रमित कर रहा है कि चैनल 15 अगस्त को ऑन एयर हो जायेगा, जो बिलकुल निराधार है। चैनल के अनुसार इसे ऑन एयर होने में मात्र 15 दिन बचे हैं पर सच्चाई तो ये है कि अभी तक पीसीआर और प्रसारण संबंधित कोई भी मशीन नहीं लगाई गई है। यहां तक कि लीज लाइन का मामला भी अभी तक क्लियर नहीं हुआ है। इससे साफ जाहिर होता है कि ये चैनल के लोग मीडिया के नाम पर लोगों का शोशण कर रहें हैं तथा अपने व्यक्तिगत कामों के लिए मीडिया की ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहें हैं।”
-कुंदन कुमार
कुंदन के आरोपों पर रफ्तार मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ आशुतोष चौधरी का जवाब-
”हमारे यहां जो लोग भी सेवारत हैं, उनमें से किसी को भी किसी तरह की शिकायत नहीं। कुंदन को हमने ही ट्रायल के लिए बुलाया था। उन्हें कुछ दिनों के लिए ट्रायल पर रखा गया था, जिसमें उनका परफारमेंस ठीक न होने पर मना कर दिया गया था। अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए कोई अनर्गल आरोपों का सहारा ले, तो उसके बारे में क्या कहा जा सकता है। हमें किसी कर्मी की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है। हम कोई लोकल नहीं, नेशनल चैनल लेकर आ रहे हैं, कारपोरेट सेक्टर बना रहे हैं, तो निश्चित ही अपने संस्थान, नेटवर्किंग, कार्यकुशलता आदि सभी स्तरों पर गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखकर चल रहे हैं। आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जबरदस्त प्रतिस्पर्द्धा के दौर में कमजोर लोगों से तो काम नहीं चलाया जा सकता। इन निराधार आरोपों का कोई मतलब नहीं होता। यह सब संस्थान को बदनाम करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।”
-आशुतोष चौधरी
सीईओ, रफ्तार मीडिया प्रा. लिं.