जब किसी का समय खराब चल रहा हो तो वो जो भी कदम उठाता है, उसका नतीजा उलटा निकलता है। संजय ब्रागटा के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। वे सहारा के नेशनल न्यूज चैनल ‘समय’ के हेड हैं। उनकी कुछ दिनों से प्रबंधन से पटरी नहीं बैठ रही है। इसमें उनकी गलती बस इतनी ही है कि वे चैनल को अपने तरीके से चलाना चाहते हैं। प्रबंधन चाहता है कि ब्रागटा बस नाम के हेड बने रहें, चैनल प्रबंधन के लोग चलाएं। ब्रागटा को यह मंजूर नहीं है। यह मतभेद अब जगह-जगह दिखने लगा है। बीते दिनों सहारा के मीडिया प्रोजेक्ट के हेड सुमित राय ने ‘समय’ के रिपोर्टरों की बैठक बुलाई जिसमें संजय ब्रागटा भी शरीक थे। इस बैठक में सुमित राय ने संजीव त्रिवेदी को इंट्रोड्यूस करते हुए कहा कि ये अबसे एनसीआर-नेशनल ब्यूरो में एक्टिव रोल में रहेंगे। मतलब साफ था कि संजीव त्रिवेदी समय के एनसीआर और नेशनल ब्यूरो, जिन्हें पिछले दिनों मर्ज कर दिया गया, के ब्यूरो चीफ बन जाएंगे। ब्रागटा ने इस नियुक्ति पर आपत्ति की। बिना चैनल हेड की सहमति लिए उसकी टीम में कोई बड़ा बदलाव करना ब्रागटा को नागवार गुजरा।
उन्होंने बैठक में ही अपना तीखा विरोध दर्ज कराया। ब्रागटा के नाराज होने की वजह भी थी। सुमित राय संजीव त्रिवेदी को इंट्रोड्यूस करने से पहले ब्यूरो की जमकर बुराई कर चुके थे। इसे ढीला ब्यूरो बता चुके थे। टीआरपी नहीं आने का रोना रोकर ब्रागटा पर निशाना साध चुके थे। कंपनी का काम रिपोर्टरों से न हो पाने की बात कह चुके थे। कोई ब्रेकिंग खबर चैनल पर न होने की शिकायत दर्ज करा चुके थे। चैनल को लेकर ब्रागटा के पास कोई प्लानिंग न होने की बात बता चुके थे। और अंततः खुद संजय ब्रागटा की भूमिका व प्रासंगिकता पर सवाल उठा चुके थे। इतना कुछ सरेआम और अपनी टीम के सामने होने के बाद भला कोई भी कैसे चुप रह सकता है। सो, ब्रागटा साहब को बोलना पड़ा। उन्होंने सुमित राय को अपनी तरफ से जमकर सुनाई। साथ ही कह दिया कि उन्हें संजीव त्रिवेदी की कोई जरूरत नहीं है। सुमित राय बोले- सब आपके हिसाब से नहीं चलेगा। ब्रागटा साहब ने फाइनल दांव खेला- मेरी मर्जी के बिना नहीं चलेगा तो मैं इस्तीफा दे रहा हूं और मेरा नोटिस पीरियड आज से ही मान लिया जाए….
इतना कहकर संजय ब्रागटा ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया। बाहर चले गए। सूत्र बताते हैं कि सुमित राय कुछ यूं बैठे रहे जैसे उन्हें पता था कि यह सब होना है। उन्होंने कार्यवाही आगे बढ़ाई। सभी रिपोर्टर सुमित साहब के सामने नतमस्तक। सबने संजीव त्रिवेदी के नेतृत्व को स्वीकारा। उधर, संजय ब्रागटा बाद में आफिस लौट आए और बोले कि संजय पाठक ने उन्हें इस्तीफा देने से रोक दिया है, इसलिए वे इस्तीफा नहीं देंगे। संजय ब्रागटा को रिपोर्टरों ने घेर लिया। एक दो ने कहा कि वे भी उनके साथ इस्तीफा दे देंगे। कुछ ने जानना चाहा कि क्या संजीव त्रिवेदी उनकी बीट बदल देंगे…..। ब्यूरो चीफ अनामिका रत्ना अलग से चिंतित दिखीं। पर सूत्रों का कहना है कि जिन रिपोर्टरों ने ब्रागटा के साथ इस्तीफा देने की बात कही थी, वे अब पूरी तरह पाला बदल चुके हैं। वे संजीव त्रिवेदी के साथ खड़े हो चुके हैं। कुछ खुलेआम तो कुछ मूक समर्थन देकर।
सूत्रों का कहना है कि सुमित राय और संजय ब्रागटा के बीच जो कुछ सबके सामने हुआ, उसका नतीजा भविष्य में देखने को मिल सकता है। एक बात तो तय है कि संजय ब्रागटा की स्थिति अब सहारा में ठीक नहीं है। प्रबंधन उन पर हर तरीके से हावी होने की कोशिश कर रहा है। ऐसी स्थिति में उनके सामने दो ही स्थितियां हैं- या तो वो प्रबंधन को हावी होने दें, जैसा कि आमतौर पर टीवी न्यूज चैनलों में होता है, या फिर अपनी पत्रकारीय आत्मा की आवाज सुनते हुए प्रबंधन के खिलाफ इस्तीफा दे दें, जैसा कि न्यूज चैनलों में बहुत कम होता है।
भड़ास4मीडिया ने इस घटनाक्रम के बारे में संजय ब्रागटा का पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन किया तो उन्होंने ऐसी कोई घटना होने से ही इनकार किया। उन्हें जब बताया गया कि यह सब कुछ तब हुआ जब सारे रिपोर्टर बैठे हुए थे और सबको इसकी जानकारी है, तो भी संजय ब्रागटा ने कहा कि पूरी घटना में कोई सच्चाई नहीं है, ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हम लोग एक परिवार की तरह हैं और परिवार में दिन भर क्या-क्या होता है, इसका जिक्र करने का कोई मतलब नहीं है। इस बारे में जानकारी के लिए सुमित राय को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।