इटावा में डेढ़ सौ लोगों पर मुकदमा : यशवन्त जी, जो सोचा था, वही हुआ। पहले तो आपने उन शातिर खबरचियों के नाम नहीं छापे जबकि फिरोजावाद की सिपाही की पिटाई पर आपने स्ट्रिंगर का नाम प्रकाशित कर दिया था। अब इटावा पुलिस इन्हीं खबरचियों से वीडियो लेकर लोगों को चिन्हित करके कार्यवाही करने जा रही है जबकि पुलिस भी यह मान रही है कि उपद्रवी लोगों को कोई गुमराह कर यह सब हंगामा करा रहा था।
आपको भेजे वीडियो में आजतक के स्टिंगर साबिर शेख और लाइव इंडिया के रिपोर्टर अशोक शाक्य जो कि सहारा समय के स्टिंगर दिनेश शाक्य का भाई व उनका कैमरा मैन है, की आवाज साफ सुनायी दे रही है। फिर आपने इन खबरचियों का नाम छापने में भेदभाव क्यों किया? सबसे पहले विजुअल सहारा ने ही चलाये और इन्हीं लोगों के दिये विजुअल पर पुलिस निर्दोष लोगों को चिन्हित कर कार्यवाही करने जा रही है।
क्या पुलिस ऐसे खबरचियों को चिन्हित करेगी? कम से कम आप तो अपने ब्लाग पर भेदभाव न करें। क्या ये लोग आपके भी खबरची हैं? आपके ब्लाग के भड़ासिये हैं? आप इनका नाम छापने में क्यों हिचक रहे हैं। प्लीज, इनके भी कारनामों को नाम सहित छापिये जिससे लोग जान सकें कि ये कितने शातिर हैं।
इटावा से एक पत्रकार का आया पत्र