छापामारी के दौरान शिबू सोरेन के आप्त सचिव पॉल और लौह अयस्क व्यापारी शाह बंधुओं ने खुद स्वीकार ली अपनी अघोषित संपत्ति : हवाला कारोबारी अशोक चितकारा के ठिकानों से जो महत्वपूर्ण डायरियां मिली हैं, उन डायरियों में हवाला के सहारे विदेशों में पैसा भेजने से संबंधित ब्योरा दर्ज है. यह सारा ब्योरा कोड वर्ड में दर्ज है. डायरी में लिखे कोड को डिकोड करने के बाद ही पैसा भेजने और पाने वालों के नाम का खुलासा हो सकेगा. इसी बीच उज्जवल चौधरी का तबादला किए जाने से यह संदेह गहराने लगा है कि क्या केंद्रीय सरकार इन छापेमारी के बाद मिले दस्तावेजों में से उन दस्तावेजों को दबाने / गायब कराने का प्रयास कर रही है जिसके कारण सरकार के लोगों पर दाग लगने की आशंका है. संभवतः इसीलिए छापामारी के बीच में ही उज्जवल को हटा दिया गया और संवेदनशील दस्तावेजों को केंद्रीय सरकार ने अपने चहेतों अफसरों के कब्जे में करवाकर लीपापोती का काम शुरू करा दिया है.
कोड़ा-विनोद प्रकरण में आयकर विभाग की अनुसंधान शाखा द्वारा 16 फरवरी को शुरू हुई दूसरे दौर की छापामारी, जो करीब तीन दिनों तक चली, में कई अहम खुलासे हुए हैं. करीब 70 जगहों पर छापामारी के बाद रांची में बिनोद सिन्हा, पीके सिन्हा, आरके सिन्हा और एसएन सिन्हा के ठिकानों को सील कर दिया गया है. मुख्यमंत्री शिबू सोरेने के आप्त सचिव मनोहर लाल पॉल के रांची, जमशेदपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई. एमएल पॉल को जमशेदपुर ले जाया गया. मुख्यमंत्री के आप्त सचिव मनोहर लाल पॉल 24 करोड़ रुपये के कारखाने के मालिक हैं. जांच में पाया गया है कि पॉल पहले समृद्धि स्पंज कारखाने में 50 प्रतिशत के साझीदार थे. शेष 50 प्रतिशत का मालिकाना हक बिनोद सिन्हा के पास था. बाद में पॉल ने पूरा कारखाना ही ले लिया. पॉल इंजीनियरिंग की फर्जी डिग्री के आधार पर सीएमपीडीआइ में नौकरी कर चुके हैं. सीबीआई द्वारा कार्रवाई करने के बाद उन्हें नौकरी से बरखास्त कर दिया गया था.
आयकर विभाग के अधिकारियों ने मनोहर लाल पॉल और शाह बंधुओं के ठिकानों को सील कर दिया है. मधु कोड़ा-बिनोद सिन्हा प्रकरण में 70 ठिकानों पर छापेमारी के क्रम में पॉल से रात भर पूछताछ की गयी. पॉल ने 65 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति होने की बात स्वीकारी. हालांकि वह इस बात का संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके कि इतनी संपत्ति अर्जित करने के लिए पैसा कहां से आया. लौह अयस्क के व्यापारी शाह बंधुओं ने 30 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति होने की बात स्वीकार की है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी एक व्यक्ति ने छापामारी के दौरान इतना बड़ा डिसक्लोजर किया है. पुणे के हवाला कारोबारी अजय बाफना के ठिकाने से एक डायरी मिली है. इसमें बिनोद सिन्हा और संजय चौधरी द्वारा विदेशों में खरीदी गयी कुछ संपत्ति का ब्योरा दर्ज है.
चाईबासा के लौह अयस्क व्यापारी राजू शाह व श्याम शाह के ठिकानों पर छापे के बाद पता चला कि शाह बंधुओं ने शाह स्पंज के नाम से एक फ़ैक्टरी भी लगायी है. जांच पड़ताल के दौरान पाया गया कि सरकार ने उन्हें करमपदा में माइनिंग लीज दी थी. लीज की अवधि वर्ष 2001 में ही समाप्त हो गयी थी. उन्होंने लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया. नियमानुसार लीज नवीकरण से जुड़े मामले को 11 महीने में निबटा देना है. इस अवधि में मामला नहीं निपटाये जाने पर यह मान लिया जाता है कि सरकार लीज नवीकरण करने पर सहमत है. इस नियम का लाभ उठाने के लिए लीज नवीकरण से जुड़ी फाइल एक साजिश के तहत दबा दी गयी. ऐसा करके शाह बंधु करमपदा माइंस में लगातार माइनिंग करते रहे.
Hanuman Mishrra
February 20, 2010 at 12:16 pm
शब्द नहीं हैं जिनसे मैं आपकी हौसलाफजाई कर सकूँ
हर वक्त तेरी लेखनी यूँ न्यायपथ पर ही चले,
यशवंत तेरा यश इसी में, दुर्मती तुझसे जले,
इससे पहले की मुझे कोई चाटुकार की संज्ञा दे, उनसे यही कहना चाहूँगा सत्यपथ के राही की हौसला आफजाई करनी चाहिए, टांग खिचाई नहीं………..सत्य की जय हो!