सीनियर बिल्डर लिमिटेड के मालिक विजय दीक्षित को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उन पर धोखाधड़ी के आरोप हैं. दिल्ली पुलिस ने खुफिया सूचना के बाद सोमवार को उनको साउथ एक्स इलाके से गिरफ्तार किया. दीक्षित की गिरफ़्तारी के बाद उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की गई. बताया जाता है कि छापेमारी में पुलिस के हाथ काफी दस्तावेज लगे हैं.
पुलिस ने दीक्षित की अरबों रुपए की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा जुटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस के मुताबिक विजय दीक्षित के खिलाफ कई लोगों ने शॉपिंग मॉल में दुकानों व अन्य निर्माण में निवेश के नाम पर ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने दिल्ली के आरके पुरम में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं. इसमें एक शिकायतकर्ता ने लगभग एक करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है. इसके अलावा, दिल्ली के डिफेंस कालोनी में भी ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस के मुताबिक विजय के खिलाफ दिल्ली के अलावा गुडग़ांव, सोनीपत, मेरठ, पंजाब के राजपुरा में भी अनेक मामले दर्ज हैं और उसके खिलाफ अनेक गैर जमानती वारंट भी जारी हो चुके हैं.
Comments on “विजय दीक्षित गिरफ्तार”
विजय दीक्षित के आदर्श निश्चित ही ‘माननीय’ सुब्रत रॉय होंगे.
he bhagwan media ke sath ye kua ho raha h
hi ram ya he ram
media walo jago
kisi mafia daku chor ke yaha kam karne se vvvvg h ki media man na bano
दूसरे गोरखधंधों को छिपाने के लिए ये भाई सा. मीडिया हाउस खोलकर अपनी दुकान चला रहे हैं। ऐसे दुकानदारों की पत्रकारिता बंद होनी चाहिए।
जमानत पर चलता एक चैनल
Friday, 14 May 2010 18:11 आलोक तोमर भड़ास4मीडिया – कहिन
उनमें धार भी है और रफ्तार भी। उत्तर प्रदेश के एक गांव से निकल कर लगभग आधी दुनिया का चक्कर लगाने के बाद पहले दिल्ली फिर इंदौर और वापस दिल्ली आकर बिल्डर साम्राज्य खड़ा किया है उन्होंने। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की अदालतों में उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और अमानत में खयानत के अलावा साजिश करने के इतने मामले हैं कि गिनती उनके वकीलों को ही याद होगी।
तिहाड़ जेल में कुछ दिन काट चुके हैं और एक टीवी चैनल चला रहे हैं जिसका प्रचार वाक्य है- धार भी, रफ्तार भी। बात एस वन चैनल के विजय दीक्षित की हो रही है जिन पर गलत सूचनाएं देने का इल्जाम हाल में साधना टीवी ने लगाया है। इस इल्जाम का कोई जवाब नहीं दिया गया। एस वन टीवी चैनल 2004 में बनना शुरू हुआ था और 2005 में इस पर प्रसारण शुरू हुए। शुरू में यह एनसीआर यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का चैनल था और ठीक ठाक चल रहा था। नामी पत्रकार इनके यहां काम करते थे। लेकिन कुल मिला कर धंधा धोखे का था। दक्षिण दिल्ली के सीरी फोर्ट रोड पर एक शानदार इमारत में जो पहले होटल हुआ करती थी, इस चैनल की स्थापना की गई। बाद में पता चला कि इमारत ही फर्जी है। नगर निगम को जो नक्शा दिया गया था उससे दोगुना निर्माण हुआ और नक्शे का उल्लंघन तो दरवाजे से ही शुरू हो गया।
जब सीलिंग अभियान शुरू हुआ तो केजे राव की टीम आ कर चैनल की इमारत को सील कर दी। मगर फिल्म अभिनेता राजपाल यादव के बुजुर्ग संस्करण विजय दीक्षित ने एक और तरीका निकाल दिया। पिछले दरवाजे को सील नहीं किया गया था और उसी से लोग अंदर जा कर टीवी चैनल चलाते रहे। के जे राव को पता लगा तो वे दोबारा आ कर सील कर गए। पीछे जो जनरेटर चल रहा था उसे भी उठा कर थाने में रखवा दिया गया।
चैनल नोएडा की एक इमारत में आया। इमारत का नाम है सीनियर मॉल। दरअसल विजय दीक्षित को सीनियर शब्द के साथ इतना मोह है कि उनका हर काम सीनियर होता है। वे सीनियर बिल्डर के मालिक हैं, एस वन चैनल का मतलब सीनियर मीडिया लिमिटेड है। एक पत्रिका निकाली जिसका संस्थापक संपादक मैं था, उसका नाम भी सीनियर इंडिया रखा गया। बस कसर रह गई तो यह कि विजय दीक्षित ने अपना नाम बदल कर सीनियर दीक्षित नहीं रख लिया। उनके बेटे का नाम समीर दीक्षित है जो फिलहाल मरणासन्न एस वन चैनल को चला रहे हैं। कर्मचारियों को संयोग से ही कभी कभार वेतन का एक हिस्सा मिल जाता है। बहुत दिनों तक तो किसी को नियुक्ति पत्र ही नहीं दिया गया मगर प्राविडेंट फंड और आयकर सबका कटा। जाहिर है कि एक भी पैसा सरकार के पास जमा नहीं हुआ।
विजय दीक्षित को भारत की अदालतें किस नजर से देखती है इसका एक उदाहरण आपके सामने है। सीनियर बिल्डर ने गुड़गांव में एक सीनियर डेस्टिनेशन मॉल बनाई थी और इस मामले में पेसिफिक ग्रीन इंफ्राकॉन से तालमेल किया था। बाद में शिकायतें आई कि एक ही दुकान कई-कई लोगों को बेच दी गई और विजय दीक्षित इसका इल्जाम अपनी साझेदार कंपनी पर लगाते हैं। एक दुकान खरीदने वाले यश मनोज पांडा ने पुलिस में शिकायत की तो पता चला कि विजय दीक्षित ने पेसिफिक के सुमन मल्होत्रा से फरवरी 2007 में साझेदारी का सौदा किया था जो इस साल फरवरी में खत्म हो गया हैं। सीनियर बिल्डर्स ने सभी खरीददारों को पिछले साल दिसंबर में ही दुकाने देने का वादा किया था मगर इसे पूरा नहीं किया गया। करोड़ो रुपए लगा चुके लोगों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में मामला दर्ज कर लिया।
विजय दीक्षित दिल्ली की फास्ट ट्रैक कोर्ट में जमानत के लिए भागे भागे गए और अदालत ने रिकॉर्ड देख कर कहा कि अभियुक्त आदतन अपराधी जान पड़ता है इसलिए उसको अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। इसके पहले गुड़गांव की एक अदालत ने भी चालबाजी के एक मामले में दीक्षित की जमानत खारिज कर दी थी और चंडीगढ़ उच्च न्यायालय ने इस पर स्थगन आदेश दिया हुआ हैं। गुड़गांव के ही सेक्टर 53 में सेंट्रल प्लाजा नाम का एक और मॉल सीनियर बिल्डर ने बनाया था। नियमानुसार हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति ली जानी चाहिए थी मगर वह ली नहीं गई। बोर्ड के आदेश पर मॉल की बिजली काट दी गई। मॉल में जो लोग तरह तरह की दुकाने चला रहे थे, विजय दीक्षित से संपर्क करने की कोशिश करते रहे लेकिन भाई ने फोन नहीं उठाया।
सेंट्रल प्लाजा के खरीददारों ने एक एसोसिएशन बनाई और उसके अध्यक्ष राजपाल सिंह बाजवा ने बताया है कि सीनियर बिल्डर ने उनसे बिजली और रख रखाव के मद में 65 लाख रुपए लिए मगर बिजली विभाग को जमा नहीं किए। बाद में अदालत के आदेश पर पैसे जमा किए गए मगर सिर्फ 55 लाख रुपए। जब बिजली कटी तो दुकानदारों ने ही चंदा कर के पैसे दिए। प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार उन्होंने विजय दीक्षित को कई बार पत्र भेजे थे मगर कभी कोई जवाब नहीं आया। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार तो यह पुलिस का कर्तव्य है कि ऐसे ठग बिल्डर को गिरफ्तार करे। ठगी का आरोप पुलिस में दर्ज करवाया गया है लेकिन पुलिस इसे अभी तक गंभीरता से नहीं ले रही।
दिल्ली उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर जाएं तो विजय दीक्षित के खिलाफ इतने मुकदमे हैं कि वे एक नहीं छह पन्नों में खत्म होते हैं। फिर भी विजय दीक्षित मर्सडीज में चलते हैं, शांति निकेतन जैसी भव्य कॉलोनी में एक भव्य मकान में रहते हैं। यह बात अलग है कि उनके टीवी चैनल या पत्रिका के किसी पत्रकार या कर्मचारी पर काम के सिलसिले में ही अगर कोई कानूनी मामला दायर हो जाए तो उसे वह मुकदमा अपने खर्चे पर लड़ना पड़ता है। विजय दीक्षित के वकीलों ने शायद उन्हें पीआरबी एक्ट पढ़ कर नहीं सुनाया।
s-1 ke bhopla m.p. ke beuro chief state head jay sheevastav ka to patent thaa or he diposit to lagega hi lagega or suna he abhi kuchh samay pahle indore sehar ke vyakti ne dhara 138 ka notice shreevastav g office pa pahuchya…..patrakaro ki jankari ke liye bata du ye shrivastav g azad or india news jese channlo ka apne aap ko state head batate he ………… is par ek puri report bana kar pes karunga……….
ये मीडिया के ठेकेदार हैं , इन्होने फर्जी म़ल बनाकर लोगों से जमकर धन तो ऐंठा है ही साथ ही अपने संस्थान के भी सैंकड़ों कर्मियों और स्ट्रिंगरों की सैलरी ना देकर उनके मुंह का निवाला छीना है एसे अपराधी की बेल तो आसानी से नहीं होनी चाहिए और कोर्ट को भी स पर कड़ रुख अपनाना चाहिए ।
Alok tomar Ji,
Aap ne to inki puri kundli hi Bhadas4media par likh di. Namaskar. aap ka purana disciple….Ish jaisae hi logo ke liya media aur yeh desh rahae gaya tomar ji…jaha har roj new scams log padtae hai…