अब जबकि पद पैसे के लिए लोग हर छह महीने साल भर में उछलकूद मचाते हुए इस संस्थान से उस संस्थान में आ जा रहे हैं, विनोद रतूड़ी एक ऐसे शख्स हैं जो जिस संस्थान में ट्रेनी बने वहीं पर 17 वर्षों से टिके हुए हैं और मेहनत व निष्ठा के बल पर सफलता की सीढ़ियां लगातार चढ़ रहे हैं। उन्हें अब स्थानीय संपादक बना दिया गया है। विनोद रतूड़ी को राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली के नए स्थानीय संपादक हैं। उनका नाम आज से प्रिंट लाइन में जाने लगा है। विनोद ने वर्ष 1991 में इस संस्थान में बतौर ट्रेनी ज्वाइन किया था। उसके बाद धैर्य से काम करते हुए यहीं पर एक-एक कदम आगे बढ़ते रहे। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के मूल निवासी विनोद ने भड़ास4मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में नई जिम्मेदारी दिए जाने के लिए सहारा प्रबंधन के प्रति आभार जताया।
साथ ही उनका कहना था कि वे जो कुछ हैं उसके पीछे सिर्फ श्रम और निष्ठा है। उन्होंने खुद के बारे में कुछ भी प्रकाशित किए जाने के प्रति अनिच्छा जताते हुए ज्यादा कुछ कहने से इनकार किया।
नई जिम्मेदारी के लिए विनोद रतूड़ी को शुभकामनाएं।