विष्णु नागर. मीडिया और साहित्य में जो भी सक्रिय हैं, लगभग सभी के लिए यह नाम बेहद परिचित होगा. लेकिन मिले और सुने कम लोग होंगे. मैं भी नहीं मिला था. उनके रिटायर होने की खबर मिली तो लगा कि विष्णु दा से मिल लेना चाहिए. जिन्हें हम दूर से जानते चाहते हैं उनसे मिलने के लिए वक्त खुद ब खुद निकल जाता है, अगर दिल में चाह हो. विष्णु जी से वक्त लिया और एक टिपटिपाती सुबह पहुंच गया उनके घर. दिल्ली के मयूर विहार फेज वन स्थित नवभारत टाइम्स अपार्टमेंट में विष्णु नागर का बसेरा है.
बच्चे बड़े हो गए हैं और नौकरी करते हैं, सो घर पर विष्णु जी और उनकी पत्नी ही रहते हैं. दोनों जनों से मुलाकात हुई. ढेर सारी बातें हुई. साथ में मेरे थे भड़ास4मीडिया के कंटेंट एडिटर अनिल सिंह. अनिल को विष्णु जी के व्यंग्य बहुत पसंद हैं. खूब पढ़ते रहे हैं. मिलने की लालसा उनमें भी थी. विष्णु जी से मिलने और बतियाने के बाद लगा कि मीडिया में बहुत से ऐसे संवेदनशील, सरोकार वाले और प्रतिभावान लोग हैं जो चुपचाप अपना काम करने में यकीन रखते हैं, बिना हो हल्ला किए. जिनका काम बोलता है, खुद बोलने में कम यकीन रखते हैं. विष्णु नागर का बचपन बेहद मुश्किलों में बीता. पिता के अचानक चले जाने से मां ने ही उन्हें पाला-पोसा और पढ़ाया-लिखाया. नागर साहब को जब पहली नौकरी मिली तो मां को साथ लेकर दिल्ली आ गए. कम पैसे के कारण इतने छोटे से मकान में रहते थे कि इन मां-बेटे को ठीक से सोने में समस्या आती थी. अचानक नौकरी छूटी तो मां के साथ फिर घर चले गए.
दिल्ली प्रेस से हुई शुरुआत लंबी नहीं चली क्योंकि बॉस के तनाव व दबाव को लगातार झेलने की बजाय विष्णु जी ने इस्तीफा देना ज्यादा उचित समझा. फिर शुरू हुआ संघर्ष का दौर. रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, राजेंद्र माथुर जैसे दिग्गजों के बीच अपने लेखन व काम से विष्णु नागर जब पहचाने जाने लगे तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. संघर्ष, संवेदनशीलता, सरोकार और कठिन मेहनत की पूंजी के जरिए विष्णु नागर ने धीरे-धीरे पत्रकारिता जगत फिर साहित्य जगत में नाम कमाया.
विष्णु नागर ने बातचीत के दौरान पूरी साफगोई से अपनी कमियों के बारे में बात की. मीडिया और साहित्य के सामने मौजूद सवालों पर अपना पक्ष रखा. कई मीडिया दिग्गजों के बारे में बेबाक राय रखी. बहुत सारी नई बातें उन्होंने सुनाईं. कुछ ऐसी बातें भी कहीं जिनके कारण विवाद संभव है.
आम आदमी को अपने सबसे करीब पाने वाले विष्णु नागर 60 की उम्र में रिटायर होने के बाद बहुत कुछ करना चाहते हैं. उनकी तड़प बताती है कि विष्णु नागर उम्र के कारण भले रिटायर हो गए हों लेकिन उनके अंदर का युवा पत्रकार और साहित्यकार अब ज्यादा ऊर्जावान हो चुका है. विष्णु नागर से हुई विस्तार से बातचीत को भड़ास4मीडिया पर पढ़ेंगे. बहुत जल्द. यकीन मानिए. आपको पढ़ते हुए लगेगा कि आपने बहुत दिनों बाद किसी जोरदार आदमी से मुलाकात हुई. इंटरव्यू के प्रकाशन से पहले आपको दिए जा रहे हैं विष्णु नागर के कुछ वीडियो जिनमें वे अपनी कुछ कविताओं और कुछ कहानियों का पाठ कर रहे हैं. इन्हें देखें, सुनें और विष्णु नागर के विस्तृत इंटरव्यू की प्रतीक्षा करें.
वीडियो की खराब क्वालिटी के लिए पहले से ही माफी. भड़ास4मीडिया की शुरुआत के वक्त खरीदे गए 4000 रुपये के कैमरे से ये वीडियो बनाए गए हैं और तस्वीरें ली गई हैं. इसलिए वीडियो क्वालिटी को लेकर थोड़ी समस्या दिखेगी. इन वीडियोज को देखने का बेहतर तरीका ये है कि पहले वीडियो चला लें और फिर साउंड आफ करके एक बार पूरा वीडियो चल जाने दें. फिर दुबार प्ले करें और साउंड पूरा आन कर लें, यूट्यूब और कंप्यूटर / लैपटाप दोनों का. इससे बफरिंग व लोडिंग के चलते बार-बार साउंड व विजुवल ब्रेक होने की दिक्कत नहीं आएगी.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
ISH MADHU TALWAR
August 21, 2010 at 1:35 pm
HAM INTAZAAR KAREINGE….
Akhilesh
August 23, 2010 at 1:41 pm
badee utkantha hai unke vichar janne kii
PRAVIN KUMAI RAI
January 5, 2011 at 5:12 am
there is no special story about Vishnu Nagar in this interview. we want somthing more these tipes of interview.
dhanish sharma
November 24, 2010 at 1:22 pm
sir.. i m waiting for ur book.congratulation.