वायस आफ इंडिया, छत्तीसगढ़ की फ्रेंचाइजी लेने वाली कंपनी हेलो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के सामने सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाली स्थिति आ गई है। स्ट्रिंगरों समेत समस्त स्टाफ को कई महीने से सेलरी न देने के चलते पिछले दिनों रायपुर स्थित न्यूज चैनल के आफिस में मीडियाकर्मियों ने काम बंद करते हुए आफिस पर ताला जड़ दिया। हेलो मीडिया प्रबंधन से बातचीत के बाद काम तो शुरू हो गया लेकिन न्यूज का काम संभालने वाले तीन पत्रकारों ने कंपनी पर पैसा उगाहने के लिए स्टिंग आपरेशन कर ब्लैकमेलिंग करने के लिए दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगाते हुए एक साथ इस्तीफा दे दिया। इनका कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बड़े नेताओं का स्टिंग कर उनसे पैसा निकालने और आपस में बांटने के लिए प्रबंधन की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा था।
इन लोगों का यह भी कहना है कि हेलो मीडिया की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए यह कंपनी अपने कर्मियों को सेलरी तक नहीं दे पा रही है। कंपनी ने तुरत-फुरत कमाने के चक्कर में वीओआई से 12 लाख रुपये प्रति महीने पेमेंट देने की शर्त पर फ्रेंचाइजी तो ले लिया लेकिन अब बाजार से पैसे निकालने के लिए पत्रकारों पर ही दबाव बना रही है और तरह-तरह के हथकंडे अपनाने को कह रही है। इस्तीफा देने वाले पत्रकारों के नाम हैं- छत्तीसगढ़ के स्टेट ब्यूरो चीफ अभिषेक झा, बिलासपुर ब्यूरो के मुखिया संतोष सिंह और हेलो मीडिया की तरफ से नियुक्त पत्रकार अमित पुरोहित।
बिलासपुर ब्यूरो के प्रमुख पद से इस्तीफा देने वाले संतोष सिंह ने भड़ास4मीडिया को बताया कि हेलो मीडिया प्रबंधन ने स्टाफ और स्ट्रिंगरों को कई महीने तक बिना सेलरी दिए ही काम कराया। बाद में हड़ताल और तालाबंदी करने से तनख्वाह के रूप में जो कुछ दिया गया वह तय रकम से कम है। गलत तरीके से पत्रकारिता करने की जो सीख दी जा रही थी, उसे कोई भी पत्रकार स्वीकार नहीं कर सकता। इन्हीं सब वजहों से हम लोगों ने इस्तीफा दे दिया।
छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ अभिषेक झा ने भी भड़ास4मीडिया को बताया कि हेलो मीडिया ने सभी वरिष्ठ लोगों पर पैसा लाने के लिए दबाव बनाया हुआ था और कई महीने से सेलरी नहीं दे रहे थे। ऐसे में काम कर पाना मुश्किल था। जब सभी मीडियाकर्मियों के सब्र का बांध टूटा तो सेलरी की मांग को लेकर काम बंद करना पड़ा।
भड़ास4मीडिया ने हेलो मीडिया के निदेशक रीतेश श्रीवास्तव से संपर्क किया तो उन्होंने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। रीतेश का कहना है कि सेलरी देने में थोड़ी देरी जरूर हुई पर इस कारण काम बंद कर देने और आफिस पर ताला लगा देने को उचित नहीं ठहराया जा सकता। रीतेश के मुताबिक जो लोग तालाबंदी में शामिल थे, उन लोगों को अवकाश पर भेज दिया गया है और उनके समस्त बकाये का भुगतान करा दिया गया है। अब न्यूज का काम मोहसिन अली देख रहे हैं।