खास खबर : एक चैनल के वरिष्ठ लोगों ने एक पत्रकार को एक जिले का ब्यूरो चीफ बनाया। फिर एक दिन उसी चैनल पर उस पत्रकार के बारे में सूचना प्रसारित करा दी कि इस ब्यूरो चीफ का चैनल से अब कोई लेना-देना नहीं रह गया है। उन्हें घपलों-घोटालों के आरोप में बर्खास्त किया जा चुका है। हर आम-ओ-खास को सावधान किया जाता है कि वे इस पत्रकार से चैनल के नाम पर कोई लेन-देन न करें। इस टीवी जर्नलिस्ट का कहना है कि प्रबंधन ने सब कुछ एकतरफा और मनमर्जी के आधार पर किया है।
उसकी जिंदगी भर की मेहनत और इज्जत इस चैनल ने एक झटके में खत्म कर दिया। यह दुखी और विक्षुब्ध टीवी जर्नलिस्ट अपने एमडी व ग्रुप एडिटर को सबक सिखाना चाहता है। वह चाहता है कि इस तरह की हरकत कोई प्रबंधन किसी पत्रकार के साथ न करे। यह पत्रकार भड़ास4मीडिया के जरिए अपनी बात, अपना पक्ष पूरे देश के मीडिया जगत के सामने रखना चाहता है। इसी खातिर इस परेशान जर्नलिस्ट ने भड़ास4मीडिया के पास एक पत्र भेजा है।
जर्नलिस्ट का नाम है- अरविंद मिश्रा, चैनल का नाम है- वायस आफ इंडिया।
अरविंद वीओआई के लिए मध्य प्रदेश में सतना जिले के ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत थे।
अरविंद ने जो पत्र भेजा है, वह इस प्रकार है-
संपादक
भड़ास4मीडिया
दिल्ली
महोदय,
वायस आफ इंडिया प्रबंधन ने मध्य प्रदेश के सतना ब्यूरो चीफ को न सिर्फ चैनल से निकाला बल्कि उन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाकर उनसे संबंध न रखने और लेन-देन न करने की हिदायत वीओआई चैनल पर प्रसारित कराई। पत्रकारिता जगत की हलचलों को आप प्रमुखता से सामने लाते रहे हैं। उम्मीद है आप मेरे साथ हुई ज्यादती पर मेरा साथ देंगे। दरअसल मैं त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड के वाइस आफ इंडिया न्यूज चैनल में म.प्र. के सतना में संवाददाता के पद पर कार्यरत हूं। यह चैनल मैंने 1 मई 2008 को ज्वाइन किया था। 4-5 माह तक तो सब ठीक -ठाक चला लेकिन अक्टूबर माह से वेतन और ब्यूरो कार्यालय में होने वाले खर्चों के भुगतान में कम्पनी की ओर से हीला-हवाली की जाने लगी। फिर प्रबंधन की ओर से विज्ञापन जुटाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया जाने लगा। तब मुझे महसूस हुआ कि मैंने गलत चैनल ज्वाइन कर लिया है। आर्थिक अभावों के बीच फिर भी हम अपना काम करते रहे। लेकिन मार्च माह में कम्पनी प्रबंधन की ओर से लोकसभा चुनाव को देखते हुए हम पर 10 लाख रुपए का विज्ञापन जुटाने के लिए कहा गया। मैंने जब अपनी असमर्थता जताई तो कहा गया कंपनी के लिए अगर इतना नही कर सकते तो कोई दूसरा चैनल ढूंढ लें।
ब्रजेश पाहूजा नाम के शख्स का आये दिन इस तरह के फोन आते रहे। राज्य विधानसभा चुनाव के वक्त भी विज्ञापन के लिए जोर डाला गया था, मगर सहज ढंग से, तब हम लोगों ने जितना संभव हुआ, विज्ञापन भेजा भी। लेकिन लोकसभा चुनाव मे तो 10 लाख का लक्ष्य ही दे दिया गया। जाहिर है यह हम पर चैनल छोङ़ने के लिए दबाव बनाने की सोची समझी साजिश थी। मगर जब मेरी ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया तो मेरी खबरों पर रोक लगा दी गई। 30 माच को श्री मधुर मित्तल के संदेश के साथ अखलाक उस्मानी को सतना भेजा गया। उसका कहना था- मित्तल जी को अब आपकी जरूरत नही है अतः कार और कैमरा कंपनी को वापस कर दें। मैने उनके इस मौखिक आदेश को मानने से इंकार कर दिया और यह भी बता दिया कि कंपनी जब तक मेरे बकाया बिलों, बकाया वेतन (3माह का) और हर माह होने वाली कटौती का भुगतान नही कर देती है तब तक कोई सामान वापस नही होगा। बस इसके बाद श्री मधुर मित्तल ने अपना असली रंग दिखा दिया।
मुझे बिना कोई नोटिस दिए 2 अप्रैल को अपने चैनल पर वित्तीय अनियमितता और अनुशासनहीनता का मनगढंत आरोप लगाते हुए मुझे बर्खास्त कर दिया। प्रदेश के आम और खास को जारी इस सार्वजनिक सूचना मे मेरी फोटो भी लगाई गई। इस सूचना की वीडियो आपके पास भेज रहा हूं। इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता के इतिहास में शायद यह पहला वाक्या हो। मैं इस अपमान के खिलाफ सिविल कोर्ट में कंपनी के एमडी और चैनल के ग्रुप एडीटर के खिलाफ मानहानि का आपराधिक मामला भी दायर कर रहा हूं। आंचलिक पत्रकारों ने भी चैनल के इस घृणित कृत्य की भर्त्सना की है। उम्मीद है आप इस प्रकरण पर यथोचित कदम उठाकर मुझे सहयोग प्रदान करेंगे।
नीचे जो वीडियो है, उसमें चैनल पर मेरे बारे में प्रसारित सूचना की रिकार्डिंग है।
सादर
अरविंद मिश्र
सतना
मेल- [email protected], मोबाइल- 09425362251