वायस आफ इंडिया उर्फ वीओआई के भविष्य को लेकर एक बार फिर मीडिया जगत में अटकलें शुरू हो गई हैं। अमित सिन्हा और मित्तल बंधुओं के बीच समझौता न हो पाने के बाद चैनल भविष्य में किस रूप में चलेगा, इस बारे में कयास लगाए जाने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि मित्तल बंधु वीओआई को किसी कीमत पर बंद नहीं करेंगे। वे देर-सबेर इसे आन एयर कराएंगे। उनके लिए यह चैनल सुरक्षा कवच की तरह है। कई तरह के आरोपों व गड़बड़ियों से घिरे मित्तल बंधुओं के लिए वीओआई का चलते रहना बेहद जरूरी है। वे चैनल को बेहद लो कास्ट में चलाएंगे। चैनल संचालन के लिए कोई एक वरिष्ठ रहेगा। बाकी त्रिवेणी मीडिया स्कूल के छात्रों व पांच से दस हजार रुपये के कर्मियों के सहारे चैनल चलाया जाएगा। चैनल को लाइव मोड से हटाकर रिकार्डेड मोड में रखा जाएगा। डिस्ट्रीब्यूशन पर भी खर्च नहीं किया जाएगा।
जो स्ट्रिंगर अपने प्रभाव से अपने इलाके में चैनल दिखवा सकते हों और चैनल को बिजनेस दिला सकते हों, उन्हें जोड़ा जाएगा। ये स्ट्रिंगर चैनल को दिए जाने वाले बिजनेस में से एक बड़ा हिस्सा अपने पास रख सकेंगे। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चैनल को नए तरीके से चलाने की राह में मित्तल बंधुओं के आगे सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी जब तक अपना फुल एंड फाइनल हिसाब नहीं पा जाते, चैनल को किसी कीमत पर चलने नहीं देंगे। वर्तमान कर्मचारियों से मुक्त होने में मित्तल बंधुओं को महीनों लग सकते हैं। अगर वे पैसे दे देते हैं तब तो कर्मचारी अपने घर लौट जाएंगे लेकिन अगर नहीं देते हैं तो आंदोलन लंबा खिंचेगा। सूत्रों का कहना है कि मित्तल बंधुओं के सामने उन चैनलों का माडल है जो बेहद कम पैसे व बेहद कम सेलरी के लोगों से चलाए जा रहे हैं और अच्छा-खासा बिजनेस भी कर रहे हैं। मित्तल भी इसी राह पर चलना चाहते हैं। पर उनके राह में कानूनी अड़चने भी हैं। जूम का करोड़ों रुपये का बकाया पैसा भी उन्हें देना है। कुल मिलाकर तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं है कि मित्तल बंधु वीओआई को लेकर क्या योजना बनाए हुए हैं। पर इतना तो कहा जा सकता है कि धूम-धड़ाके से लांच हुए वीओआई का अंजाम बेहद बुरा हुआ है। इस चैनल के चलते सैकड़ों की संख्या में वरिष्ठ व अच्छे पत्रकार न सिर्फ बेरोजगार हुए हैं बल्कि मार्केट में उनकी हैसियत घटी है।