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साल पूरा होने का जश्न और स्टाफ की पीड़ा

तीन दर्जन के करीब लोग जा चुके हैं जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ से : छत्तीसगढ़ का पहला सेटलाइट चैनल होने का दावा करने वाला ‘जी 24 घंटे छत्तीसगढ़’ पहली अक्टूबर को एक साल का हो जाएगा। इस एक साल में चैनल ने कई उतार-चढ़ाव देखे। एक साल पूरा होने के पहले ही चैनल में संपादक स्तर के चार लोग विदा हो चुके हैं। चैनल को लांच करने वाले संपादक रविकांत मित्तल, एडीटर इनपुट संजय द्विवेदी, उसके बाद क्रमशः रवि पाराशर, पंकज शुक्ला की विदाई के बाद अब कमान संभाली है अभय किशोर ने। यानी एक साल में पांचवें अधिकारी के साथ स्टाफ को काम करना पड़ रहा है। 1 अक्टूबर, 2008 को लांच हुए इस चैनल के मालिक, जिन्होंने जी न्यूज से फ्रेंचाइजी लेकर इस चैनल की शुरुआत की, अपने तुगलकी व्यवहार के कारण कर्मियों में असुरक्षाबोध के कारण बने हुए हैं।

<p align="justify"><font color="#993300">तीन दर्जन के करीब लोग जा चुके हैं जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ से : </font>छत्तीसगढ़ का पहला सेटलाइट चैनल होने का दावा करने वाला 'जी 24 घंटे छत्तीसगढ़' पहली अक्टूबर को एक साल का हो जाएगा। इस एक साल में चैनल ने कई उतार-चढ़ाव देखे। एक साल पूरा होने के पहले ही चैनल में संपादक स्तर के चार लोग विदा हो चुके हैं। चैनल को लांच करने वाले संपादक <strong>रविकांत मित्तल</strong>, एडीटर इनपुट <strong>संजय द्विवेदी</strong>, उसके बाद क्रमशः <strong>रवि पाराशर</strong>, <strong>पंकज शुक्ला </strong>की विदाई के बाद अब कमान संभाली है <strong>अभय किशोर</strong> ने। यानी एक साल में पांचवें अधिकारी के साथ स्टाफ को काम करना पड़ रहा है। 1 अक्टूबर, 2008 को लांच हुए इस चैनल के मालिक, जिन्होंने जी न्यूज से फ्रेंचाइजी लेकर इस चैनल की शुरुआत की, अपने तुगलकी व्यवहार के कारण कर्मियों में असुरक्षाबोध के कारण बने हुए हैं।</p>

तीन दर्जन के करीब लोग जा चुके हैं जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ से : छत्तीसगढ़ का पहला सेटलाइट चैनल होने का दावा करने वाला ‘जी 24 घंटे छत्तीसगढ़’ पहली अक्टूबर को एक साल का हो जाएगा। इस एक साल में चैनल ने कई उतार-चढ़ाव देखे। एक साल पूरा होने के पहले ही चैनल में संपादक स्तर के चार लोग विदा हो चुके हैं। चैनल को लांच करने वाले संपादक रविकांत मित्तल, एडीटर इनपुट संजय द्विवेदी, उसके बाद क्रमशः रवि पाराशर, पंकज शुक्ला की विदाई के बाद अब कमान संभाली है अभय किशोर ने। यानी एक साल में पांचवें अधिकारी के साथ स्टाफ को काम करना पड़ रहा है। 1 अक्टूबर, 2008 को लांच हुए इस चैनल के मालिक, जिन्होंने जी न्यूज से फ्रेंचाइजी लेकर इस चैनल की शुरुआत की, अपने तुगलकी व्यवहार के कारण कर्मियों में असुरक्षाबोध के कारण बने हुए हैं।

मूलतः लोहे के व्यापारी रहे इस चैनल के मालिकों के व्यवहार से तंग आकर इस मंदी के दौर में भी लोग अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। चैनल में हमेशा अफरातफरी का आलम रहता है। जिनको मौका मिल जा रहा है, चले जा रहे हैं। जो यहां रुके हैं, उनकी मजबूरी समझी जा सकती है। चैनल के एक साल पूरा होने का जो उत्सव 1 अक्टूबर, 2009 को होगा, उसमें चैनल को लांच कराने वाले तमाम साथी नहीं रहेंगे। इसकी पीड़ा स्टाफ में है। चैनल की चार प्रमुख एंकर कीर्ति सिसोदिया, श्वेतांशी, इफत अली, दीपिका राव, रिपोर्टर्स में ऋचा सिंह, अंकुर विजयवर्गीय, नेहा बग्गा, हेमंत मिश्रा, केशव पटेल, आउटपुट की टीम से सोमेश सिंह, ब्रम्ह प्रकाश, पूनम गुप्ता, योगेश, शालिनी श्रीवास्तव, नर्मंदेश पाठक, पंकज सोनी, राजेश पाण्डेय, अक्षय झा, शास्वत शुक्ला, टेक्नीकल स्टाफ में पीसीआर के आनंद, वीटी एडीटर नीरज, टेक्नीकल के अजीम, ग्राफिक्स से नीरज, सपोर्ट स्टाफ के जेनेट, निक्की जैसे तमाम नाम हैं जो अब चैनल के साथ नहीं है। स्टाफ में एक गहरा असुरक्षाबोध है। चैनल में जो भी शीर्ष स्तर पर काबिज हैं, उनकी हालत पीए जैसी बताई जाती है। जो मालिकों की हां में हां नहीं मिलाता, वह यहां टिक नहीं पाता।

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