आपने तो हमारे अर्थशास्त्र की ऐसी की तैसी कर दी सरदारजी!

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हमारे देश का बजट आने वाला है। कहने को भले ही सरदार मनमोहन सिंह पीएम हैं और पी चिदंबरम हमारे वित्त मंत्री। लेकिन सरकार बहुत सारे दलों के बावजूद कांग्रेस की है और श्रीमती सोनिया गांधी उसकी वास्तविक मुखिया है। वह जितना कहती है उतना ही होता है। न उससे कम, न ज्यादा। किसी की औकात नहीं है कि सोनिया गांधी जैसा कहें, वैसा न करे। उनकी बात मानना मजबूरी जैसा है। इसीलिए लोग इंतजार कर रहे हैं कि इस बार के बजट में देश के लिए तो होगा ही, महिलाओं के लिए भी बहुत कुछ होगा।

सरदार मनमोहन सिंह तो खैर मस्ती से जी रहे हैं। पीएम के नाते इस पद के मजे ले रहे हैं। उनके वित्त विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री होने के बावजूद हमारे देश के वित्तीय हालात की मट्टी पलीद हो गई हैं और अर्थ शास्त्र करीब करीब कोकशास्त्र सा हो गया है। किसी को समझ में नहीं रहा है कि क्या हो रहा है। पैसा जितना आता है, उससे भी ज्यादा खर्च बढ़ रहे हैं। महंगाई ने सब कुछ मटियामेट कर रखा है। लोग परेशान हैं। और वित्तमंत्री उलझन में। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता घर परिवार संभालने को वाली महिलाओं को है। किसी और को सरदारजी से कोई अपेक्षा हो ना हो, देश की महिलाओं को मनमोहन सिंह की माई बाप सोनिया गांधी से कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं है। क्योंकि वे ही सरकार की असली माई बाप हैं।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भले ही अपने पहले भाषण में संसद को महिलाओं की सुरक्षा के मामले में बहुत कुछ सुना कर आ गए। लेकिन सरदारजी को सोचना चाहिए कि पहली समस्या सिर्फ असुरक्षा की नहीं है। सितारों से आगे जहां और भी है। बहुत कम लोग जानते हैं कि बच्चों को जन्म देते समय महिलाओं की मौत की घटनाएं दुनिया के किसी भी गए गुजरे देश से भी ज्यादा हमारे देश में होती हैं। बजट में उनके स्वास्थ्य को लेकर बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। खासकर गांवों में महिलाओं के लिए ज्यादा अस्पताल बनाने का प्रावधान किया जाना चाहिए। ये सारी बातें अपन तो आज कह रहे हैं। मनमोहन सिंह ने बहुत पहले तब कही थी, जब पहली बार वित्त मंत्री बने थे। उसके बाद खुद कई बार लगातार वित्त मंत्री बने, पर कभी अपना कहा कुछ भी पूरा नहीं किया।

जब पहली बार वित्त मंत्री बने थे, तो आपने तो भारत और इंडिया की दूरी खत्म करना है, ऐसा कहा था सरदारजी…। लेकिन अब तो आप साक्षात प्रधानमंत्री हैं। वह भी दूसरी बार। सवा सौ करोड़ से भी ज्यादा लोगों का यह देश कभी आप पर भरोसा करता था। यह बात अलग है कि आपको खुद पर भरोसा नहीं हैं। पहले राजीव गांधी की तरफ देख कर काम करते थे। फिर नरसिम्हा राव ने आप पर भरोसा किया। और राव साब भले ही सोनिया गांधी को फूटी आंखों नहीं भाते थे, फिर भी सोनियाजी का मौका आया तो उनने भी आप पर ही भरोसा किया। नरसिम्हा राव ने तो आपको वित्तमंत्री ही बनाया था। पर, सोनियाजी ने तो प्रधानमंत्री बना दिया। आप इतने भरोसेमंद आदमी हैं। लेकिन फिर भी यह देश आप पर भरोसा क्यों नहीं करता सरदारजी?

राजनीति के लोग अपने सिवाय किसी भी दूसरे पर कोई भरोसा नहीं करते हैं। लेकिन फिर भी आप उनके भरोसे के काबिल रहे हैं। जब जब आप वित्त मंत्री बने, तो देश ने भी आप पर भरोसा किया था सरदारजी। क्योंकि किसी अर्थशास्त्री से शास्त्रार्थ की उम्मीद भले ही नहीं की जाए पर सामान्य आदमी के सहज घरेलू अर्थशास्त्र को समझने की सामान्य उम्मीद तो की ही जा सकती है। लेकिन आपने तो हर बार पर, हर बजट में हम सबका पूरा अर्थशास्त्र ही उलटकर रख दिया। अपना दावा है सरदारजी कि इस बार भी आप और आपकी सरकार देश का भरोसा तोड़ेंगे। महंगाई बढ़ाएंगे, गरीब को मारेंगे और अमीरों को संवारेंगे। लेकिन अब देश ने आप जैसे सीधे सादे दिखनेवालों पर भी भरोसा करना छोड़ दिया है, यह भी याद रखिएगा।  

लेखक निरंजन परिहार राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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