भ्रष्‍ट पत्रकारिता (2) : लाभ पाने में खुद सबसे आगे, दूसरों को नसीहत

Spread the love

कमोबेश यही स्थिति एक वरिष्ठ पत्रकार की है एक विदेशी न्यूज एजेन्सी का संवाददाता होने के साथ ही वे काफी समय तक पत्रकारों के नेता भी रहे हैं। इलाहाबाद के बाद लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले यह महोदय नहीं चाहते कि उनके आगे कोई दूसरा अपने को सत्तारूढ़ दल का सबसे बड़ा वफादार साबित करे। प्रेस क्लब हो या मान्यता समिति दोनों के लिए अध्यक्ष रह चुके यह महोदय कंधे पर बैग टांगे लोगों को स्वस्थ्य पत्रकारिता के टिप्स दिया करते है।

पूर्ववर्ती सरकार में यशभारती पाने के लिए खासी मशक्कत की लेकिन कामयाबी नहीं मिली लेकिन किसी संस्था द्वारा एक लाख का पुरस्कार पाने में जरूर कामयाब रहे। गोमतीनगर में सरकार से सब्सिडी से प्लाट लेकर तिमंजिला मकान बनवाया उसे किराए पर उठाकर स्वयं महोदय एक बड़ी सरकारी कालोनी में विराजते है। इस सरकारी आवास में उन्होंने राज्य सम्पत्ति की अनुमति के बिना कमरों का निर्माण कराया। सरकार और सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों का वफादार होने के नाते विभाग के किसी अधिकारी ने उनके खिलाफ कुछ लिखना पढऩा जरूरी नही समझा। सरकार से इतना भरपूर लाभ लेने के बाद वे इस समय भी लाभ का कोई पद लेने के लिए अथक प्रयासों में लगे हैं।
 
त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्‍य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *