प्रेस क्लब को एक पदाधिकारी ने अवैध रेस्टारेंट खुलवाने में अहम भूमिका निभाई। दलाली मोहल्ले का कोई दलाल अगर गलत कार्यों पर उतर आए तो भले ही खुद अनाधिकृत कब्जेदार हो, लेकिन उसने अपने ऐशोआराम के लिए यूपी प्रेस क्लब को ही किराए पर चलाना शुरू कर दिया। दलाली मोहल्ले के इसी दलाल और यूपी वर्किग जर्नलिस्ट यूनियन की चौकड़ी ने मिलकर प्रेस क्लब में लंबी-चौड़ी राशि पर लोगों को किराए पर रेस्टोरेंट दे रखा है।
क्लब के जरिए अपने साथ-साथ साथी बाराती को ऐश करने वाला कोई और नहीं बल्कि यही दलाली मोहल्ले वाले एक दलाल है। जिसकी कहानी ही प्रूफ रीडर से शुरू होकर रिपोर्टर आने पर समाप्त हो सकती है। अपनी बात को यह भले कई टुकड़ों में कहे लेकिन जब बात लेने की आ जाए तो जनाब सब कुछ एक ही हिचकी में डकारने का माद्दा रखते है। बरसों से प्रेस क्लब को दीमक की तरह चाटे हुए है। इतने दिन में शायद लकड़ी भी खत्म हो जाती है। लेकिन प्रेस क्लब की इतनी आमदनी है कि एक दलाल तो क्या कई दलाल लग जाए फिर भी क्लब की सेहत पर असर पडऩे वाला नहीं।
त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.