भ्रष्‍ट पत्रकारिता (23) : सरकार की नजर में पत्रकार के मौत की कीमत बीस हजार!

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लखनऊ। प्रदेश सरकार की नजर में ईमानदार पत्रकार की मौत का मुआवजा सिर्फ बीस हजार रुपए है। दुख, दर्द और अभावों में जीवनयापन कर रहीं दिवंगत मान्यता प्राप्त पत्रकार सुधीर कुमार लहरी की पत्नी निधि श्रीवास्तव ने जहां 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता अखिलेश यादव सरकार को वापस करके तगड़ा झटका दिया है वहीं पत्रकारों की गैरत को ललकारा है। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति इस मुद्दे को लेकर जल्द मुख्यमंत्री से मिलकर पत्रकार कल्याण कोष गठित करने की मांग करेगी।

मालूम हो कि मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार सुधीर कुमार लहरी की 5 सितम्बर 2011 को लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया था। श्री लहरी कई बड़े समाचार पत्रों में संवाददाता रहे थे। ईमानदारी के कारण श्री लहरी का जीवन काफी अभावग्रस्त था। लेकिन श्री लहरी ने कभी भी अपनी ईमानदारी का सौदा नहीं किया। यही वजह रही कि श्री लहरी का निधन इलाज के अभाव में हो गया था। 21 मार्च 2013 को श्रीमती निधि श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने पर सवाल उठाए हैं।

पत्र में श्रीमती निधि श्रीवास्तव ने लिखा है कि मेरी आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब होने के बावजूद अभी मेरा मान-सम्मान बाकी है। मैं एक सम्मानित मान्यता प्राप्त पत्रकार स्वर्गीय सुधीर कुमार लहरी की पत्नी हूं, मैं अपने पति और पत्रकार वर्ग का सम्मान करना जानती हूं। सरकार ने जो आर्थिक सहायता प्रदान की है, उससे कई गुना आर्थिक सहायता हमारे पत्रकार बंधुओं ने दी है। सरकार द्वारा दी गई बीस हजार रुपए की आर्थिक सहायता स्वीकार किए जाने से पत्रकार वर्ग को अपमानित करने जैसा है। सरकार द्वारा दी गई बीस हजार रुपए की आर्थिक सहायता का चेक संख्या 169064 वापस कर रही हूं।

9 जनवरी 2008 को स्वतंत्र भारत के स्थानीय सम्पादक अरविंद सिंह का कैंसर की बीमारी से निधन हो गया था। तत्कालीन मायावती सरकार ने श्री सिंह के परिजनों को पांच लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की थी। श्री सिंह की पत्नी गीता सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को पत्र लिखकर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की गुहार लगाई थी। इसके बाद सरकार अपनी घोषणा से मुकरते हुए 1.30 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति की गुरुवार को हुई बैठक में दिवंगत पत्रकारों को कम आर्थिक सहायता दिए जाने का मुद्दा जोर-शोर से उठा। कई सदस्यों ने सरकार की संवेदनहीनता को आड़े हाथों लिया।

समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि यह काफी दुखद हैं कि यूपी सरकार ने ईमानदार पत्रकार की कीमत मात्र बीस हजार रुपए आंकी है। बीस हजार रुपए की आर्थिक सहायता मीडिया का मजाक उड़ाने जैसा है। उन्होंने कहा कि समिति का एक प्रतिनिधि मण्डल जल्द मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर पत्रकार कल्याण कोष गठित करने की मांग करेगा।

त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्‍य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.

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