पीजीआई में राज्य कर्मचारियों की भांति मान्यता प्राप्त पत्रकारों को मुफ्त इलाज कराए जाने की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की घोषणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष ने कई बार मुख्यमंत्री को अपनी घोषणा पर अमल करने की याद दिलाई। लेकिन नौकरशाही के निरंकुश रवैए के कारण मुख्यमंत्री की घोषणा अमल में नहीं हो पाई है। इसको लेकर पत्रकारों में रोष है।
पीआईबी देती है पत्रकारों को आर्थिक सहायता : केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने श्रमजीवी पत्रकारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए पत्रकार कल्याण निधि का गठन 25 अगस्त 2010 को किया था। इस निधि के माध्यम से पत्रकारों के आश्रितों को 3 से 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। भारत सरकार ने इसके लिए एक कमेटी गठित कर रखी है। इस कमेटी की संस्तुति पर पत्रकार की मृत्यु होने या अभावग्रस्त जीवन पर पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। गम्भीर रूप से बीमारी के इलाज के लिए 3 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाती है। भारत सरकार ने इसके लिए लोक लेखा में ब्याज वाली आरक्षित निधि से प्रावधान किया है। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिन्हा ने कहा कि यूपी सरकार भी केन्द्र सरकार की तर्ज पर पत्रकार कल्याण कोष गठित करे, जिससे पत्रकारों को आर्थिक सहायता मिल सके।
त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.