लखनऊ में स्वतंत्र और वरिष्ठ पत्रकारों की भरमार है। स्वतंत्र पत्रकारों में के. विक्रम राव, घनश्याम दुबे, योगेन्द्र द्विवेदी, अजय कुमार, सर्वेश कुमार सिंह, राजीव शुक्ला, अनूप श्रीवास्तव, सुरेश द्विवेदी, मसूद हसन, निरंकार सिंह, रवीन्द्र सिंह, मुदित माथुर, हसीब सिद्दीकी, राम उग्रह, श्याम कुमार, कुलसुम तल्हा, अजय कुमार सिंह, मुकेश कुमार अलख, कुमार सौवीर, राजेश नारायण सिंह, पवन कुमार सिंह हैं।
वरिष्ठ पत्रकारों में पीएस सेठी, राजनाथ सिंह सूर्य, सरोजेश गाजीपुरी, इशरत अली सिद्दीकी, श्यामचरण तिवारी, करूणा शंकर सक्सेना, मदन मोहन बहुगुणा, जे.पी. शुक्ला, एस. कौसर हुसैन, पी.बी. वर्मा, भगवंत प्रसाद पाण्डेय, राजीव रंजन झा, सत्येन्द्र शुक्ल, अशोक निगम, आर.सी. श्रीवास्तव, जोखू प्रसाद तिवारी, वीर विक्रम बहादुर मिश्र, राजेन्द्र द्विवेदी, पी.के. राय, अफजल अहमद अंसारी, राम सागर, शिव शंकर त्रिपाठी, सुरेन्द्र दुबे, उपेन्द्र शुक्ला, आबिद सुहेल, कमल नयन, ए.एम. खान, बृजेन्द्र प्रताप सेंगर, उमा शंकर त्रिपाठी, अजय सिंह और ज्ञानेन्द्र शर्मा हैं।
इनमें से अधिकतर लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकार हैं। आज भी कई पत्रकारों के लेख 75 हजार से ज्यादा प्रसार संख्या वाले समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं। लेकिन इनमें से कुछ पत्रकार सिर्फ कागजों पर पत्रकारिता कर रहे हैं। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के पूर्व निदेशक का कहना है कि स्वतंत्र और वरिष्ठ पत्रकार के नाम पर कुछ लोग गलत फायदा उठा रहे हैं। कई पत्रकार खुद को नियम-कानून से ऊपर मानते हैं। स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता प्राप्त करने के लिए फर्जी कागजात लगा रखा है। अगर इसकी जांच हो जाए तो काफी पत्रकार इसमें फंसेंगे।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को अपनी छवि स्वच्छ रखने के लिए ऐसा अभियान चलाएं जिससे पत्रकारिता का नाम बदनाम न हों। अपनी लेखनी से समाज को आईना दिखाने का काम जिन लोगों को है। आज उन्हे स्वयं यह करने की आवश्यकता है। जो हाथ अपनी लेखनी से दूसरों को न्याय दिलाने के लिए उठनी चाहिए। उसी लेखनी को नेताओं अफसरों के आगे गिरवी रखकर खबरनवीस उनके आगे याची की मुद्रा में है। किसी को लालबत्ती को चाहिए तो किसी को सत्तारूढ़ दल से बड़ा राजनीतिकलाभ।
त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.