हमेशा की तरह पूरे 36-48 घंटे इंतजार किया कि किसी का तो जमीर जागेगा और शायद 'भड़ास' पर यह खबर पढ़ने को मिलेगी। जब देखा 'भड़ास' पर इस खबर की एक लाइन नहीं है, फिर तय किया, चलो इस बार भी अपन ही खबर भेजें। तो हुआ यूं कि आन-बान-शान के लिए जाने वाले राजस्थान के मेरे शहर 'अजमेर शरीफ' के पत्रकारों ने कल फिर एक गुल खिला दिया।
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष हेमंत जैन से एक छोटा सा तोहफा, 'मोबाइल फोन' लेकर उसकी दो से चार कॉलम की खबर छापी। सपा जिलाध्यक्ष हेमंत जैन पर भगवानगंज क्षेत्र में एक दलित की जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। दलितों के विरोध के चलते रामगंज थाना पुलिस को इस मामले में हेमंत जैन और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना पड़ा।
पिछले दिनों जब अजमेर के पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा को थानेदारों से मंथली लेने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रंगे हाथों दबोचा तो यह खुलासा हुआ कि सपा जिलाध्यक्ष जैन ने एसपी मीणा के दलाल रामदेव ठठेरा और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल तथा रामगंज थानाधिकारी कुशाल चौरड़िया से पैसे की सांठ-गांठ कर अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे को रफा-दफा करवा दिया। ब्यूरो ने इस पर एसपी मीणा, दलाल रामदेव, एएसपी सोनवाल, थानाधिकारी चौरड़िया और सपा जिलाध्यक्ष जैन के खिलाफ नया मुकदमा दर्ज कर उसकी जांच शुरू कर दी।
जब देखा कि ब्यूरो अपनी जांच किए जा रहा है तो मंगलवार को हेमंत जैन ने एक प्रेस कॉंफ्रेंस बुलाई। पत्रकारों के सामने सफाई दी, सारा मामला झूठा है, अगर खत्म नही किया गया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निवास के बाहर धरना दूंगा। खबर छापने की खातिर एक रेस्टॉरेंट में शानदार नाश्ता करवाया गया और मोबाइल फोन उपहार में दिया गया। अगले दिन अखबारों में दो से चार कॉलम तक की खबर थी।
बेचारे पत्रकारो के साथ गड़बड़ कर दी राजस्थान पत्रिका ने, खबर तो छापी पर यह भी लिख दिया कि हेमंत जैन ने मीडिया मैनेज करने के लिए पत्रकारों को मोबाइल फोन बांटे। साथ ही स्पष्ट कर दिया, पत्रिका रिपोर्टर ने यह प्रलोभन स्वीकार नहीं किया। जानकारी के मुताबिक प्रेस कॉंफ्रेंस में कुल पंद्रह पत्रकारों और फोटोग्राफरों ने सहर्ष यह सम्मान स्वीकार किया। पत्रिका की खबर से बौखलाए खबरनवीस अब मोबाइल फोन को घटिया तो बता ही रहे हैं साथ ही अपनी खुन्नस निकाल रहे हैं कि पत्रिका वाला कौन सा दूध का धुला है, नाश्ता तो उसने भी किया है, नाश्ता परोसने की बात भी तो लिखता, क्या वह प्रलोभन नहीं है? इधर एक नई जानकारी आ रही है, हेमंत जैन को मीडिया मैनेज करने का यह आइडिया एक पत्रकार ने ही दिया था। जैन ने उस पत्रकार को ही इस मैनेजमेंट का ठेका दे दिया था। पत्रकार महोदय ने अपना तगड़ा मैनेजमेंट दिखाया और जैन से मंहगे दाम लेकर अपने साथियों को सस्ते किस्म के मोबाइल उपकरण बंटवा दिए।
मालूम हो कि पहले कभी डायरी पेन तक सीमित रहने वाले अजमेर शहर में गाहे बगाहे खबरों के लिए पत्रकारो को उपहार देने की चर्चाए गरम रहने लगी है। एक जैन मुनि की प्रेस कॉंफ्रेंस में पत्रकारों को चांदी के सिक्के बांटे गए थे तो विधायक अनिता भदेल ने नगर परिषद सभापति रहने के दौरान अटैचिया बांटी थी। अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी तो कई दफा घी के पैकेट बांट चुके हैं। कई दफा तो रिपोर्टर ने एक-एक उपहार अपने चीफ रिपोर्टर और संपादक के नाम पर भी ले लिया। कुछ ईमानदारी की मिसाल बने रहे और अपना उपहार किसी और जगह पहुंचा देते जहां से बाद में ले लेते। सन् 1997 में जब यह दौर जोर पकड़ने लगा, दैनिक भास्कर, अजमेर के संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल ने बाकायदा खबर प्रकाशित कर खबरें छापने के नाम पर या प्रेस वार्ता में भास्कर के पत्रकार और फोटोग्राफरों के उपहार नहीं लेने की घोषणा की थी।
उपहारों को लेकर पत्रकारों की कई बार किरकिरी भी हुई है। देहली गेट पर एक समाज की धर्मशाला में बुलाई गई पत्रकार वार्ता में लंच का भी न्यौता दिया गया था। लंच के नाम पर सबको एक लंगर में बैठा दिया गया और बाद में एक कमरे के फर्श पर बहुत सारे शर्ट पीस का ढेर लगा दिया गया। जिसे जो पसंद है ले लो भाई कहते ही सारे पत्रकार कपड़ो के ढेर पर टूट पडे़ और अपनी पसंद का कमीज का कपड़ा लेकर ही वहां से हिले।
अजमेर से राजेंद्र हाड़ा की रिपोर्ट. राजेंद्र जी से संपर्क 09549155160 या 09829270160 या rajendara_hada@yahoo.co.in के जरिए कर सकते हैं. राजेंद्र हाड़ा करीब दो दशक तक सक्रिय पत्रकारिता में रहे. अब पूर्णकालिक वकील हैं. यदा-कदा लेखन भी करते हैं. लॉ और जर्नलिज्म के स्टूडेंट्स को पढ़ा भी रहे हैं. राजेंद्र हाड़ा की अन्य रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- भड़ास पर राजेंद्र हाड़ा