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जटिल और अपारदर्शी है रिलायंस और टीवी18 का सौदा

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने यह पुष्टि कर दी है कि वह एक जटिल सौदे को अंजाम दे रही है जिसके जरिए मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली इस कंपनी को नेटवर्क 18 में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी मिल जाएगी। नेटवर्क 18 कुछ अन्य कारोबारों के साथ सीएनएन-आईबीएन और सीएनबीसी-टीवी 18 जैसे चैनलों का संचालन भी करती है। यह एक ऐतिहासिक खबर है। इसमें न केवल टेलीविजन समाचार उद्योग के सुदृढ़ीकरण की सूचना है बल्कि बड़े कारोबारी घरानों के खबरों के स्वामित्व और निर्माण से जुडऩे की बात भी है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने यह पुष्टि कर दी है कि वह एक जटिल सौदे को अंजाम दे रही है जिसके जरिए मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली इस कंपनी को नेटवर्क 18 में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी मिल जाएगी। नेटवर्क 18 कुछ अन्य कारोबारों के साथ सीएनएन-आईबीएन और सीएनबीसी-टीवी 18 जैसे चैनलों का संचालन भी करती है। यह एक ऐतिहासिक खबर है। इसमें न केवल टेलीविजन समाचार उद्योग के सुदृढ़ीकरण की सूचना है बल्कि बड़े कारोबारी घरानों के खबरों के स्वामित्व और निर्माण से जुडऩे की बात भी है।

एक समय बैंकिंग की तर्ज पर मीडिया पर भी बड़े कारोबारियों का नियंत्रण था। स्वतंत्रता के बाद देश के मीडिया को कई दफा 'जूट प्रेस' कहकर भी पुकारा जाता था क्योंकि  कई समाचार पत्रों के मालिकों के जूट उद्योग से निकट संबंध थे। समय के साथ वह रिश्ता टूट गया। टेलीविजन समाचारों की शुरुआत हुई और शुरुआती वर्षों में ही यह उद्योगपतियों द्वारा संचालित है। अब इस क्षेत्र में काफी भीड़भाड़ है और मुनाफे में कमी आने लगी है तो आश्चर्य नहीं कि समाचार चैनलों से जुड़े उद्यमी पूंजी से समृद्घ बड़े उन घरानों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं जो पहले ही पूरे दमखम से मनोरंजन टेलीविजन के क्षेत्र में प्रविष्ट हो चुके हैं। इस पर सावधानीपूर्वक नजर रखने की आवश्यकता है क्योंकि यह नियामकों, दर्शकों और निर्माताओं के लिए नई चुनौती पेश कर रहा है।

समाचार का कारोबार अन्य कारोबारों से अलग है, इन मायनों में कि कारोबार के स्वामी के हित सीधे तौर पर उत्पाद की विश्वसनीयता पर असर डालते हैं। अधिकांश जगहों पर संपादकीय और कारोबार के बीच की पुरानी सीमा काफी पहले ढह चुकी है। दर्शक भी इस बात को समझते हैं और वे किसी खास स्रोत से मिल रहे समाचार पर इन तमाम बातों के असर के साथ अपना निर्णय लेते हैं। ऐसे हालात में स्वामित्व और खरीद में पारदर्शिता जरूरी विश्वसनीयता मुहैया कराती है। आरआईएल-टीवी 18 सौदा जटिल और अपारदर्शी है। अतीत पर ध्यान दें तो आंध्र प्रदेश की उषोदय इंटरप्राइजेज जिसके पास इनाडु नाम से प्रिंट और टेलीविजन प्रॉपर्टीज का स्वामित्व है, में जे एम फाइनैंशियल्स के निमेश कम्पानी की कंपनियों ने निवेश किया। उस समय मामला आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में आया और कहा गया कि 2,600 करोड़ रुपये का निवेश रिलायंस की ओर से था। इस तथ्य की अब पुष्टि हो गई लगती है लेकिन तब आरआईएल ने इसका उल्लेख नहीं किया था। हालिया सौदे के जरिए नेटवर्क 18 इनाडु के कुछ चैनलों को खरीद रहा है। इस सौदे की प्रकृति में काफी कुछ अस्पष्ट है।

टीवी 18 के प्रवर्तक राघव बहल ने कथित तौर पर निवेशकों से कहा है कि चूंकि सौदा उनकी प्रवर्तित कंपनियों और आरआईएल के एक न्यास के बीच हुआ है और चूंकि दोनों स्वतंत्र संस्थाएं हैं इसलिए वह विस्तृत ब्योरा देने के लिए जवाबदेह नहीं हैं। खबर यह भी है कि दूसरे अंबानी समूह  ने टीवी 18 के प्रतिस्पर्धी चैनल ब्लूमबर्ग-यूटीवी में काफी निवेश किया है। ऐसी अफवाह भी है कि  कई समाचार संस्थाओं में अज्ञात स्रोतों का पैसा लगा है। इस बात में कम ही संदेह है कि बाजार को उद्योग में स्थिरता चाहिए लेकिन यह भी सच है कि बेहतर संचालित बाजार को उपभोक्ताओं तक अधिकतम सूचना पहुंचने देनी चाहिए। कोई ऐसी स्थिति नहीं चाहता जहां नियमन के नाम पर सरकार का भारी भरकम हस्तक्षेप आम हो जाए। नियमन का काम सरकार के नियंत्रण से बाहर होना चाहिए लेकिन उसे नित नई चुनौतियों से भली भांति निपटना भी चाहिए। आदर्श स्थिति में ऐसे सुदृढ़ीकरण के साथ खुलासों से जुड़े नियमों में भी अधिक परिपक्वता आनी चाहिए। साभार : बीएस

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